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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

16 sanskar || हिन्दू धर्म के प्रमुख संस्कार

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via https://youtu.be/JEk6Si_urZE

उत्तराखंड का धार्मिक जीवन || religious life in uttarakhand ||

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via https://youtu.be/wki5AIz20lI

उत्तराखंड की कला और संस्कृति ||Art and Culture of Uttarakhand || folk art of uttarakhand

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via https://youtu.be/FNYiOvseuBU Devbhoomi india  मूर्तिकला  उत्तराखंड की संस्कृति और इतिहास   उत्तराखण्ड के मंदिरों में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तराखण्ड में मूर्ति कला किसी समय अपने उत्कर्ष पर रही होगी । अधिकांश प्राप्त मूर्तियाँ शिव , विष्णु , हर गौरी , पार्वती , गणेश , नंदा , कार्तिकेय , काली , दुर्गा , गरुड़ आदि की हैं । मूर्तियाँ अधिकांशतया जागेश्वर , उखीमठ , कालीमठ , बद्रीनाथ , गोपेश्वर , जोशीमठ , अल्मोड़ा , द्वाराहाट आदि स्थलों पर दृष्टिगत होती हैं । बहुत सी मूर्तियाँ 8 वीं से 12 वीं सदी के मध्य निर्मित की गयी हैं । मूर्तियाँ में प्राप्त हुई हैं । टूटी - फूटी अवस्था आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर दिया इन्हें 19 वीं सदी में रोहिला था ।  चित्रकला उत्तराखंड की कला और संस्कृति  चित्रकला रूप से प्रोत्साहन गढ़वाल के पंवार वंशी राजाओं ने चित्रकला को विशेष दिया । सुलेमान शिकोह के साथ श्यामदास और केहरदास नाम के चित्रकार श्रीनगर में आये थे । उन्होंने श्रीनगर में चित्रकला का प्रचार किया । उनके बाद मंगतराम और मौलाराम ने का निर्माण क

ranikhet almora Uttarakhand || रानीखेत उत्तराखंड

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via https://youtu.be/Hm5mGYwFk1s

पुलवामा के वीर सपूतों को नमन २०२२ || भारत के वीर

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via https://youtu.be/Y0gxV9nXBtE

कैप्टन विक्रम बत्रा || परमवीर चक्र विजेता || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन विक्रम बत्रा कैप्टन विक्रम बत्रा 1999 (कारगिल) कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को पालमपुर में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही देशभक्‍त‍ि की कहानियां सुनीं और स्कूल के समय सेना के अनुशासन को देखा जिसका असर उनके मन-मस्तिष्क पर भी रहा। उन्होंने हांगकांग की मर्चेंट नेवी की नौकरी को ठुकराकर अपने देश के लिए सेवा देने को महत्व दिया और 1996 में सीडीएस के जरिए उन्होंने भारतीय सेना अकादमी, देहरादून में प्रवेश लिया और 1997 में 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर वे नियुक्त हुए। उन्होंने सैनिक जीवन में कमांडो ट्रेनिंग के साथ और भी प्रशिक्षण लिए। 1999 में हुए कारगिल युद्ध में उनकी टुकड़ी को भेजा गया और हम्प व राकी नाब जीतने के बाद उन्हें कैप्टन बना दिया गया। श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर 5140 पर एक महत्वपूर्ण चोटी को जीतने के बाद उन्हें 'शेरशाह' व 'कारगिल का शेर' जैसी संज्ञाएं भी दी ग

कैप्टन मनोज कुमार पांडेय || परमवीर चक्र

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन मनोज कुमार पांडेय 1999 (कारगिल)  कैप्टन मनोज कुमार पांडेय कैप्टन मनोज कुमार पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को उत्तरप्रदेश के रूधा गांव (सीतापुर) में हुआ था। इंटरमीडियट की पढ़ाई के बाद मनोज कुमार नेशनल डिफेंस एकेडमी, पुणे में दाखिल हुए और ट्रेनिंग पूरी कर वे 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंट की पहली बटालियन में बतौर कमीशंड ऑफिसर शामिल हुए। जब उनकी बटालियन को सियाचिन में तैनात होना था, तब उन्होंने खुद अपने अधिकारी को पत्र लिखकर सबसे कठिन दो चौकियों बाना चौकी या पहलवान चौकी में से एक दिए जाने की मांग की और बाद में लंबे समय तक 19 हजार 700 फुट की ऊंचाई पर पहलवान चौकी पर जोश और बहादुरी के साथ वे डटे रहे, Devbhoomi India 1999 के निर्णायक युद्ध में उनकी बटालियन ने खलूबार को फतह करने की जिम्मेदारी ली और दुश्मन के हर वार का सामना कर और दुश्मन सैनिकों की लाशें बिछाते हुए आखिरकार खलूबार को फतह किया। हालांकि इस फतह की लड़ाई

लांस नायक अल्बर्ट एक्का || PVC INDIA || BHARAT KE VEER

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए लांस नायक अल्बर्ट एक्का  1971 -लांसनायक अल्बर्ट एक्का लांस नायक अल्बर्ट एक्का  झारखंड के गुमला जिले के जरी गांव में 27 दिसंबर 1942 को जन्मे अल्बर्ट एक्का शुरुआत से ही फौज में जाने के इच्छुक थे। दिसंबर 1962 में उन्होंने सेना में प्रवेश कर बिहार रेजीमेंट में अपना कार्य शुरू किया। बाद में 14 गार्ड्स के गठन के समय एल्बर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया और ट्रेनिंग के दौरान ही उनकी क्षमताओं और अनुशासन को देखते हुए उन्हें लांसनायक बmना दिया गया  मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित लांस नायक अल्बर्ट एक्का ने अभूतपूर्व वीरता का प्रदर्शन करते हुए 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्‍टे कर दिए। 3 दिसंबर, 1971 के दिन शत्रुओं से लोहा लेते हुए एक्का देश पर कुर्बान हो गए। इस लड़ाई में पाकिस्तान को बुरी तरह शिकस्त मिली। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का उदय हुआ। एक्का का जन्म 27 दिसम्बर, 1942 को झारखंड (तब बिहार

उत्तराखंड के प्राचीन माप तौल ||measurement and weighing system of uttarakhand

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Devbhoomi india   प्राचीन काल में उत्तराखंड में मपतोल के अनेक विधिया तथा साधन प्रचलित थे । जिनमें से कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी प्रयुक्त होते हैं । इनमें नाली ( 2 किग्रा ) , बीसी ( 40 किग्रा ० ) , साणा ( ½ किग्रा ० ) , तामी ( 4 किग्रा ) , कुड़ी ( 1 किग्रा ) , दोण ( 32 किग्रा ) , खारी ( 16 मन ) एवं कवासी आदि प्रमुख हैं । ये साधन लकड़ी , तांबा , लोहा , पीतल आदि से बनाये जाते थे । उत्तराखंड में पहले माप तौल के लिए किलोग्राम, मीटर, फुट, हेक्टेयर जैसे मापन इकाईयों का प्रयोग नहीं होता था, आज कल मैदानी क्षेत्रों में अब इन का प्रयोग होने लगा है पर पहाड़ों में आज भी पुरानी इकाईयों का प्रयोग ज्यादा होता है... तो जानते हैं इनके बारे में जो हमारे देनिक काम में भी कुछ काम आये...  पहाड़ों में जब भी अनाजों और दालों को तोला जाता है तो ग्राम या किलोग्राम से ज्यादा प्रयोग मुट्ठी, सेर, पाथा, मण जैसे तरीको का होता है... आज भी पहाड़ो में शादी में जब भात पकाया जाता है तो चावल को मण में ही तोला जाता है...  अनाज और दलहनी सामानों के लिए  1 मुट्ठी = 62.5 ग्राम  1 सेर = 8 मुट्ठी = 500 ग्राम  1 कूडी = 1 किलो ग

परमवीर चक्र || हवलदार अब्दुल हमीद- 1965 ||

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  भारत के वीर लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए अब्दुल हमीद- 1965 हवलदार  1 जुलाई 1933 में उत्तरप्रदेश के गाजीपुर स्थ‍ित धरमपुर गांव में जन्मे वीर अब्दुल हमीद कुश्ती के दांव-पेंच, लाठी चलाना और गुलेल से निशानेबाजी में माहिर थे। उन्होंने 1954 में 21 वर्ष की आयु में वे सेना में भर्ती हुए और 27 दिसंबर 1954 को ग्रेनेडियर्स इंफ्रैंट्री रेजीमेंट में शमिल हो गए। जम्मू-कश्मीर में तैनात अब्दुल हमीद द्वारा एक पाकिस्तानी आतंकवादी डाकू इनायत अली को पकड़वाने पर प्रोत्साहनस्वरूप पदोन्नति मिली और वे लांसनायक बना दिए गए Devbhoomi india 10 सितंबर 1965 में जब पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण किया गया, तब अमृतसर को घेरने की तैयारी में आगे बढ़ती पाकिस्तानी सेना को मजा चखाते हुए अब्दूल हमीद ने जान की परवाह न करते हुए अपनी तोपयुक्त जीप से दुश्मन के 3 टैं‍क ध्वस्त कर दिए। इस बात से तिलमिलाए पाक अधिकारियों ने उन्हें घेरकर हमला कर दिया और दुश्मन की गोलीबारी में

परमवीर चक्र ||Capt Gurbachan Singh Salaria || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया- 1961 (चीन युद्ध) 29 नवंबर 1935 पंजाब प्रांत के शकरगढ़ (अब पाकिस्तान) के जनवल गांव में कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया का जन्म हुआ। 1946 में बेंगलोर के जॉर्ज रॉयल मिलिट्री कॉलेज में प्रवेश के बाद 1947 में उनका स्थानांतरण उसी कॉलेज की जालंधर शाखा में हुआ। इसके बाद 1953 में वे नेशनल डिफेंस एकेडमी पहुंचे, जहां से कॉर्पोरल रैंक के साथ वे सेना में भर्ती हुए।  ् गोरखा राइफल्स के कैप्टन गुरबचन को संयुक्त राष्ट्र के सैन्य प्रतिनिधि के रूप में एलिजाबेथ विला में दायित्व सौंपा गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र की सेना कांगो के पक्ष में हस्तक्षेप करने और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग कर विदेशी व्यापारियों पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव से भड़के विदेशी व्यापारियों ने संयुक्त राष्ट्र की सेनाओं के मार्ग में बाधा डालने प्रयास किया।  विदेशी व्यापारि

परमवीर चक्र ||सेकंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए रामा राघोबा राणे सेकंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे -1948  26 जून 1918 कर्नाटक के धारवाड़ स्थित हवेली गांव में जन्मे रामा राघोबा राणे को जीवित रहते हुए सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। जुलाई 1940 को बांबे इंजीनियर में आने के बाद उन्हें नायक के रूप में पदोन्नति मिली और वे 26 इंफेंट्री डिवीजन की 28 फील्ड कंपनी में आए। रामा ने अपनी सूझबूझ, बहादुरी, नेतृत्व क्षमता से सबको प्रभावित किया और उन्हें सेकंड लेफ्ट‍िनेंट बनाकर जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया। भारत के वीर  कश्मीर में कबाइली हमले के समय नौशेरा की फतह के बाद भारतीय सेना द्वारा दुश्मन के खिलाफ बनाई गई नीति के तहत बारवाली रिज, चिंगास और राजौरी पर कब्जा करने के लिए नौशेरा-राजौरी मार्ग की भौगोलिक रुकावटों और दुश्मनों की सुरंगों को साफ करना जरूरी था। घुमावदार रास्तों, सुरंगों और कई रुकावटों वाले इस मोर्चे पर रामा राघोबा व उनकी सेना द्वा

परमवीर चक्र || भारत के वीर ||परमवीर चक्र पाने वाले पहले भारतीय

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए, पहले हम जानेंगे परमवीर चक्र किसे और क्यों दिया जाता है, स्थापना 26 जनवरी 1950 प्रथम प्रदत्त 3 नवंबर 1947 परमवीर चक्र परमवीर चक्र क्या है ? परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। परमवीर चक्र के तीन जीवित विजेता: परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह (बाना सिंह) ही एकमात्र

उत्तराखंड में व्यापार || Uttarakhand rojgar

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Kot mandir || kot mandir video || kot bhramri mandir || kot bhramri temple dangoli Bageshwar

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