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परमवीर चक्र ||Capt Gurbachan Singh Salaria || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया- 1961 (चीन युद्ध) 29 नवंबर 1935 पंजाब प्रांत के शकरगढ़ (अब पाकिस्तान) के जनवल गांव में कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया का जन्म हुआ। 1946 में बेंगलोर के जॉर्ज रॉयल मिलिट्री कॉलेज में प्रवेश के बाद 1947 में उनका स्थानांतरण उसी कॉलेज की जालंधर शाखा में हुआ। इसके बाद 1953 में वे नेशनल डिफेंस एकेडमी पहुंचे, जहां से कॉर्पोरल रैंक के साथ वे सेना में भर्ती हुए।  ् गोरखा राइफल्स के कैप्टन गुरबचन को संयुक्त राष्ट्र के सैन्य प्रतिनिधि के रूप में एलिजाबेथ विला में दायित्व सौंपा गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र की सेना कांगो के पक्ष में हस्तक्षेप करने और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग कर विदेशी व्यापारियों पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव से भड़के विदेशी व्यापारियों ने संयुक्त राष्ट्र की सेनाओं के मार्ग में बाधा डालने प्रयास किया।  विदेशी व्यापारि

परमवीर चक्र || भारत के वीर ||परमवीर चक्र पाने वाले पहले भारतीय

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए, पहले हम जानेंगे परमवीर चक्र किसे और क्यों दिया जाता है, स्थापना 26 जनवरी 1950 प्रथम प्रदत्त 3 नवंबर 1947 परमवीर चक्र परमवीर चक्र क्या है ? परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। परमवीर चक्र के तीन जीवित विजेता: परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह (बाना सिंह) ही एकमात्र