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उत्तराखंड की गौरव || प्रकृति सेविका प्रभा देवी ||जंगल

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प्रभा देवी: एक अनपढ़ महिला, जिसने खड़ा कर दिया पूरा जंगल! 🌳💪 प्रभा देवी शायद पढ़ी-लिखी नहीं हैं, और उन्हें अपनी जन्मतिथि तक नहीं मालूम — लेकिन प्रकृति को लेकर उनका ज्ञान किसी विश्वविद्यालय से कम नहीं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के पलशाट गांव की 76 वर्षीय प्रभा देवी ने अकेले दम पर एक पूरा जंगल तैयार कर दिया है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्चा ज्ञान दिल से आता है, डिग्रियों से नहीं। 🌱❤️ उनके इस आत्मनिर्मित जंगल में 500 से भी अधिक पेड़ हैं — जिनमें बांज (oak), बुरांश (rhododendron), दालचीनी (cinnamon), और रीठा (soap nut) जैसे विविध प्रजातियाँ शामिल हैं। प्रभा देवी ने सालों पहले इस कार्य की शुरुआत की और तब से अपना जीवन पेड़ लगाने और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर दिया। उन्होंने बताया, “मेरे परिवार के पास थोड़ी-सी बंजर ज़मीन थी। मैंने वहाँ और अपने घर के आसपास पेड़ लगाने शुरू किए। आज वह जगह एक घना जंगल बन चुकी है, और मेरा सपना है कि हर बंजर ज़मीन को हरा-भरा बना दूं।” 16 साल की उम्र में शादी हुई और कभी स्कूल का मुँह तक नहीं देखा, लेकिन उन्होंने पेड़-पौधों के बारे में ऐसा ज्ञान खुद से...

पहाड़ की औरतें || Uttarakhand women's ||

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Devbhoomi India  पहाड़ की औरतें ✊ सूरज को जगाती हैं  मुँह अँधेरे  बनाकर गुड़ की चाय  और उतारती हैं  सूर्य-रश्मियों को  जब जाती हैं धारे में  भर लेती हैं सूरज की किरणों को  जब भरती हैं  बंठा धारे के पानी से  पहाड़ की औरतें रखती हैं  सूरज के लिए  कुछ पल आराम के  भरी दुपहरी में  सुस्ता लेता है भास्कर  पहाड़ी औरतों के सिर पर रखे  घास के बोझ तले!  और साँझ को  जब गोधूलि बेला में  आते हैं पशु-पक्षी अपने  आशियानों में लौटकर  तो सूरज को भी कर देती हैं  विदा...  अपनी रसोई में चूल्हे की  आग जलाकर!  पहाड़ी औरतें  रखती हैं बनाकर यादों को  कुट्यारी  और जब कमर झुक जाती है उनकी  तो समूण बनाकर  सौंप देती हैं वो कुट्यारी  अपने नाती-पोतों को!  पहाड़ी औरतें असमय ही  हो जाती हैं बूढ़ी!  क्योंकि उन्हें होता है तज़ुर्बा चढ़ाई का और रपटीली ढलानों का भी!  पहाड़ी औरतों के चेहरे की झुर्रियों में  पूरा पहाड़ दिखाई देता है  लदा होता ह...