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कैप्टन मनोज कुमार पांडेय || परमवीर चक्र

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन मनोज कुमार पांडेय 1999 (कारगिल)  कैप्टन मनोज कुमार पांडेय कैप्टन मनोज कुमार पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को उत्तरप्रदेश के रूधा गांव (सीतापुर) में हुआ था। इंटरमीडियट की पढ़ाई के बाद मनोज कुमार नेशनल डिफेंस एकेडमी, पुणे में दाखिल हुए और ट्रेनिंग पूरी कर वे 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंट की पहली बटालियन में बतौर कमीशंड ऑफिसर शामिल हुए। जब उनकी बटालियन को सियाचिन में तैनात होना था, तब उन्होंने खुद अपने अधिकारी को पत्र लिखकर सबसे कठिन दो चौकियों बाना चौकी या पहलवान चौकी में से एक दिए जाने की मांग की और बाद में लंबे समय तक 19 हजार 700 फुट की ऊंचाई पर पहलवान चौकी पर जोश और बहादुरी के साथ वे डटे रहे, Devbhoomi India 1999 के निर्णायक युद्ध में उनकी बटालियन ने खलूबार को फतह करने की जिम्मेदारी ली और दुश्मन के हर वार का सामना कर और दुश्मन सैनिकों की लाशें बिछाते हुए आखिरकार खलूबार को फतह किया। हालांकि इस फतह की लड़ाई

परमवीर चक्र || हवलदार अब्दुल हमीद- 1965 ||

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  भारत के वीर लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए अब्दुल हमीद- 1965 हवलदार  1 जुलाई 1933 में उत्तरप्रदेश के गाजीपुर स्थ‍ित धरमपुर गांव में जन्मे वीर अब्दुल हमीद कुश्ती के दांव-पेंच, लाठी चलाना और गुलेल से निशानेबाजी में माहिर थे। उन्होंने 1954 में 21 वर्ष की आयु में वे सेना में भर्ती हुए और 27 दिसंबर 1954 को ग्रेनेडियर्स इंफ्रैंट्री रेजीमेंट में शमिल हो गए। जम्मू-कश्मीर में तैनात अब्दुल हमीद द्वारा एक पाकिस्तानी आतंकवादी डाकू इनायत अली को पकड़वाने पर प्रोत्साहनस्वरूप पदोन्नति मिली और वे लांसनायक बना दिए गए Devbhoomi india 10 सितंबर 1965 में जब पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण किया गया, तब अमृतसर को घेरने की तैयारी में आगे बढ़ती पाकिस्तानी सेना को मजा चखाते हुए अब्दूल हमीद ने जान की परवाह न करते हुए अपनी तोपयुक्त जीप से दुश्मन के 3 टैं‍क ध्वस्त कर दिए। इस बात से तिलमिलाए पाक अधिकारियों ने उन्हें घेरकर हमला कर दिया और दुश्मन की गोलीबारी में

परमवीर चक्र ||Capt Gurbachan Singh Salaria || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया- 1961 (चीन युद्ध) 29 नवंबर 1935 पंजाब प्रांत के शकरगढ़ (अब पाकिस्तान) के जनवल गांव में कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया का जन्म हुआ। 1946 में बेंगलोर के जॉर्ज रॉयल मिलिट्री कॉलेज में प्रवेश के बाद 1947 में उनका स्थानांतरण उसी कॉलेज की जालंधर शाखा में हुआ। इसके बाद 1953 में वे नेशनल डिफेंस एकेडमी पहुंचे, जहां से कॉर्पोरल रैंक के साथ वे सेना में भर्ती हुए।  ् गोरखा राइफल्स के कैप्टन गुरबचन को संयुक्त राष्ट्र के सैन्य प्रतिनिधि के रूप में एलिजाबेथ विला में दायित्व सौंपा गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र की सेना कांगो के पक्ष में हस्तक्षेप करने और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग कर विदेशी व्यापारियों पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव से भड़के विदेशी व्यापारियों ने संयुक्त राष्ट्र की सेनाओं के मार्ग में बाधा डालने प्रयास किया।  विदेशी व्यापारि

परमवीर चक्र ||सेकंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए रामा राघोबा राणे सेकंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे -1948  26 जून 1918 कर्नाटक के धारवाड़ स्थित हवेली गांव में जन्मे रामा राघोबा राणे को जीवित रहते हुए सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। जुलाई 1940 को बांबे इंजीनियर में आने के बाद उन्हें नायक के रूप में पदोन्नति मिली और वे 26 इंफेंट्री डिवीजन की 28 फील्ड कंपनी में आए। रामा ने अपनी सूझबूझ, बहादुरी, नेतृत्व क्षमता से सबको प्रभावित किया और उन्हें सेकंड लेफ्ट‍िनेंट बनाकर जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया। भारत के वीर  कश्मीर में कबाइली हमले के समय नौशेरा की फतह के बाद भारतीय सेना द्वारा दुश्मन के खिलाफ बनाई गई नीति के तहत बारवाली रिज, चिंगास और राजौरी पर कब्जा करने के लिए नौशेरा-राजौरी मार्ग की भौगोलिक रुकावटों और दुश्मनों की सुरंगों को साफ करना जरूरी था। घुमावदार रास्तों, सुरंगों और कई रुकावटों वाले इस मोर्चे पर रामा राघोबा व उनकी सेना द्वा

परमवीर चक्र || भारत के वीर ||परमवीर चक्र पाने वाले पहले भारतीय

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए, पहले हम जानेंगे परमवीर चक्र किसे और क्यों दिया जाता है, स्थापना 26 जनवरी 1950 प्रथम प्रदत्त 3 नवंबर 1947 परमवीर चक्र परमवीर चक्र क्या है ? परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। परमवीर चक्र के तीन जीवित विजेता: परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह (बाना सिंह) ही एकमात्र