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फुलों की घाटी उत्तराखंड || phoolo ki ghati Chamoli || valley of flowers 🌻🌹

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via https://youtu.be/jidZ7ddXbNc फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं. यह भारतवर्ष के उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में मौजूद है. यह फूलों की घाटी विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा साल 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी अभयारण्य- नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है. पूरी घाटी दुर्लभ और विदेशी हिमालयी फूलों से भरी हुई है. यहां फूलों की 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें एनीमोन, जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लू पोस्पी और ब्लूबेल शामिल हैं. हालांकि यहां का ब्रह्म कमल सबसे खूबसूरत है, जिसे उत्तराखंड का राज्य फूल भी कहा जाता है. यहां पर पाए जाने वाले तरह तरह के सुंदर फूल पर्यटकों को अपनी तरफ खींचते हैं. फूलों की घाटी तक पहुंचने वाले रास्ते में कई खूबसूरत पुल, ग्लेशियर और झरने भी देखने को मिलेंगे. घाटी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल भी देखने को मिलेंगें. #फूलोंकीघाटीउत्तराखंड #ValleyofFlowers #devbhoomiindia #उत्तराखंड

Patal Bhuvaneswar temple Uttarakhand || पाताल भुवनेश्वर

उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳 की सभ्यता ,संस्कृति 🙏 से आपको जोड़ने की कोशिश 🙏🙏 उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से जोड़ी जानकारी कै लिए पेज को फोलो करें , जय देवभूमि जय उत्तराखंड जय हिन्द #उत्तराखंड का इतिहास ,  पाताल भुवनेश्वर !!🔱 🚩🙏 पाताल भुवनेश्वर चूना पत्थर की एक प्राकृतिक गुफा है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट नगर से १४ किमी दूरी पर स्थित है। इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। यह गुफा भूमि से ९० फ़ीट नीचे है, तथा लगभग १६० वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे।स्कंदपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं। यह भी वर्णन है कि राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफा के भीतर महादेव शिव सहित ३३ कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये थे। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में

Chambu devta || history of chamu devta || chambu devta Uttarahand || चमू देवता

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via https://youtu.be/Gddp-l-xbdQ youtube video लोहाघाट, जेएनएन : नेपाल सीमा से लगे गुमदेश क्षेत्र का ऐतिहासिक चमू देवता मंदिर पांडव कालीन इतिहास की जीती जागती मिसाल है। इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान किया था। नवरात्र के दौरान मंदिर में पूजा अर्चना करने वालों का तांता लगा रहता है। इसी मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्र में सीमावर्ती गांवों के प्रसिद्ध चैतोला मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि श्रद्धा भाव से मांगी गई हर मुराद चमू देवता पूरी करते हैं। देव भूमि में यत्र-तत्र स्थित मन्दिर व देवालय अपनी विशिष्ट मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। गुमदेश क्षेत्र के चमदेवल में स्थित चमू देवता मन्दिर भी प्रगाढ़ आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण अज्ञातवास के दौरान यहां पहुंचे पांडवों ने किया था। मंदिर के अन्दर शिवलिंग व दीवारों पर विराजमान पांडव कालीन मूर्तियां इसका प्रमाण हैं। कहा जाता है कि तत्कालीन समय में शक्तिशाली दैत्य बकासुर ने क्षेत्र में आतंक मचाया हुआ था, जिससे परेशान एक  वृद्ध महिला ने दैत्य के आतंक से कुल नाश की आशंका को देखते हुए चमू देवता से दैत्य से रक्षा कर

सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती || राष्ट्रीय एकता दिवस || Birth anniversary of Sardar Vallabhbhai Patel ||Vallabhbhai Patel - Wikipediaen.wikipedia.org › wiki › Vallabhbhai_Patel

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The iron man उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳 की सभ्यता ,संस्कृति 🙏 से आपको जोड़ने की कोशिश 🙏🙏 उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से जोड़ी जानकारी कै लिए पेज को फोलो करें , जय देवभूमि जय उत्तराखंड जय हिन्द  भारत के लौह-पुरुष जिन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोया,भारत की अखंडता को सुनिश्चित करने वाले सरदार_बल्लभ_भाई_पटेल जी की जयंती पर नमन। य़ह राष्ट्रीय एकता दिवस देश के लिये उनके समर्पण,उनके कार्यों,और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक हैं। 562 रियासतों का एकीकरण कर देश की एकता के सूत्रधार, आधुनिक भारत के निर्माता, निष्ठा और ईमानदारी के पर्याय, स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री भारत रत्न एवं लौह पुरुष के नाम से विश्व विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल जी      आज देश लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 145 जयंती मना रहे हिंदुस्तान को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल की पूरे राष्ट्र में एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्णभूमिका रही है। यही कारण है कि वल्लभ भाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस सन 2014 में मनाया गया था। सरदार वल्लभभाई पट

विश्व पर्यावरण दिवस2020 || World Environment Day 2020 ||माता पिता की तरह निस्वार्थ प्रेम |uttrakhand

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via https://youtu.be/ZqPPcc3Kcbc विश्व पर्यावरण दिवस इतिहास संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 1972 में इस कोर्ट होम में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला परिणाम सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। इसके बाद से उनका विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा। 1972 में इस दिन को मनाने की नींव रखीआज विश्व पर्यावरण दिवस है। यह हर साल दुनिया भर में 5 जून को मनाया जाता है। पर्यावरण की समस्या पर सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ में खोट है। मैं विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था इसमें 119 देशों में देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी में सिद्धांत मां ने किया कि इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यक्रम का जन्म हुआ था तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित कर के नागरिकों के प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागरूकता करना आम जनता को प्रेरित करना था।मानव जीवन प्रकृति संसाधनों पर आधार आधारित है। हजारों वर्षों में हम प्रकृति पर आरक्षित है। पर पिछले कुछ दशकों से हमने आवश्य