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उत्तराखंड का लोक पर्व घी संक्राती || GHEE SANKRANTI || UTTARAKHAND CULTURE

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via https://youtu.be/UAw8jZ_EXug नमस्कार दोस्तों आज की वीडियो में हम जानेंगे। उत्तराखंड में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध पर्व जोहर भादो माह के एक तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व उत्तराखंड में विशेष तौर से मनाया जाता है। इसे घी संक्रांति के नाम से हम उत्तराखंड में जानते हैं। साथ में पूरे भारतवर्ष में घी संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन माना जाता है कि खाना अनिवार्य होता है। घी संक्रांति के दिन घी  नहीं खाता है वह  अगले जन्म में घेंघा (गनेल)  बन जाता है ऐसा कहा जाता है,और इसी दिन से फसलों में बाली आना भी सुरू हो जाता है, यह त्यौहार मुख्यतः पशुओं और प्रकृति को समर्पित है जो कि उत्तराखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है तो उसकी कुछ जानकारी आज की वीडियो मैंने आपको दी उम्मीद करता हूं। आपको वीडियो जरूर पसंद आएगी , जय देव भूमि जय उत्तराखंड जय हिन्द #pankaj_uttarakhand

गंगा दशहरा 2020 || गंगा दशहरा महत्व || pankaj uttarakhand

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उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳की सभ्यता संस्कृति🙏 #pankajdevbhoomi🙏🙏 Video Link गंगा दशहरा 2020। गंगा दशहरा के पर्व पर घरों में गंगा दशहरा द्वारा पात्र लगाने को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस द्वार पत्र को लगाने से घर में विनाशकारी सत्या प्रवेश नहीं करती और प्रजापति बिजली गिरने जैसी घटनाओं से बचाव होता है। इसके साथ घर में नकारात्मक ऊर्जा में प्रवेश को भी द्वार पत्र रोकता है तथा घर में सुख समृद्धि और बनी रहती है। उत्तराखंड में यह परंपरा प्रमुख रूप से प्रचलित है। गंगा दशहरा द्वारा।पत्र ऐसा होता है क्या करने में इस पत्र को घर के मुख्य दरवाजे पर लगाने की परंपरा इस तत्व को विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। भोजपत्र से या फिर श्वेत पत्र से मात्र मंत्रों पर लिखकर दरवाजे पर चिपकाया जाता है। यह मंत्र वर्ग कार होना चाहिए। इस मंत्र इस पत्र पर भगवान शिव गणेश दुर्गा सरस्वती गंगा आरती के रंगीन चित्र बनाकर उनके चारों तरफ एक ही वितरित वितरित कमाल दलों की आकृति बनाई जाती है। लाल पीले और हरे रंग का प्रयोग किया जाता है। द्वारकेश लोग गंगा दशहरा द्वारा पात्र में सिद्धि पत्र माना जाता है। मान्यताओं के अन