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Famous furit s in Uttarakhand India || Breweries aristata || उत्तराखंड के फल

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उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳 की सभ्यता ,संस्कृति 🙏 से आपको जोड़ने की कोशिश 🙏🙏 उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से जोड़ी जानकारी कै लिए पेज को फोलो करें ,  इस भाग में हम जान रहे  भारत उत्तराखंड के प्रमुख फलों के बारे में आज का फल है| Breweries aristata किलमोड़ा (वैज्ञानिक नाम- ब्रेवरीज एरिस्टाटा) प्रकृति ने उत्तराखंड को कुछ ऐसे तोहफे दिए हैं, जिनके बारे में अगर सही ढंग जान लिया तो आपके शरीर से बीमारियां हमेशा के लिए दूर भाग सकती हैं। खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में प्रकृति के गोद में ही आपको कई बी मारियों का इलाज मिल जाएगा। आज हम आपको कंटीली झाड़ियों में उगने वाले एक फल के बारे में बता रहे हैं। ये छोटा सा फल बड़े काम का है। आम तौर पर इसे किलमोड़ा नाम से ही जाना जाता है। इसकी जड़, तना, पत्ती, फूल और फल हर एक चीज बेहद काम की है। इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ट्यूमर, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। डायबिटीज के इलाज में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। वनस्पति विज्ञान में ब्रेवरीज एरिस्टाटा को पहाड़ में किलमोड़ा के नाम से जाना जाता है। इसक...

Fruits in Uttarakhand || what is the famous fruit in Uttarakhand || AlooBukhara

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उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳 की सभ्यता ,संस्कृति 🙏 से आपको जोड़ने की कोशिश 🙏🙏 उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से जोड़ी जानकारी कै लिए पेज को फोलो करें , दोस्तों आज हम जान रहे देवभूमि_उत्तराखंड के फल  आलूबुखारा [पोलम] अलूचा या आलूबुखारा काअंग्रेजी नाम - प्लम ; वानस्पतिक नाम : प्रूनस_डोमेस्टिका) एक पर्णपाती वृक्ष है। इसके फल को भी अलूचा या प्लम कहते हैं। फल, लीची के बराबर या कुछ बड़ा होता है और छिलका नरम तथा साधरणत गाढ़े बैंगनी रंग का होता है। गूदा पीला और खटमिट्ठे स्वाद का होता है। #भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है; परंतु अमरीका आदि देशों में यह महत्वपूर्ण फल है। आलूबुखारा (प्रूनस बुखारेंसिस) भी एक प्रकार का अलूचा है, जिसकी खेती बहुधा अफगानिस्तान में होती है। अलूचा का उत्पत्तिस्थान दक्षिण-पूर्व यूरोप अथवा पश्चिमी एशिया में काकेशिया तथा कैस्पियन सागरीय प्रांत है। इसकी एक जाति प्रूनस सैल्सिना की उत्पत्ति चीन से हुई है। इसका जैम बनता है। आलू बुख़ारा एक गुठलीदार फल है आलू बुख़ारे लाल, काले, पीले और कभी-कभी #हरे रंग के होते हैं। आलू बुख़ारों का ज़ायका मीठा या खट्टा होता है और अक्सर इनका प...

गोपेश्वर महादेव उत्तराखंड || Gopeswar Mahadev ||Gopeswar mahadev | Gopeswar Temple ||Gopeswar Mandir

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via https://youtu.be/bdK5i1SlO08 इस प्राचीन शिव मन्दिर की बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि जब शंकर जी की इच्छा भगवान की रासलीला देखने की हुए तो वे गोपी का रूप धारण कर वृन्दावन आये उसी स्मृति में यह शिव मन्दिर बना है। भगवान कृष्ण की लीला का आनंद लेने एक बार भोलेनाथ भी कृष्ण नगरी गोपी का रूप रखकर पहुंचे थे। महादेव के उस रूप को गोपेश्वर महादेव कहा गया। ... गोपेश्वर महादेव विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां महादेव गोपी रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में भगवान शिव का गोपियों की तरह सोलह श्रंगार कर पूजन किया जाता है। गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि यहां मौजूद शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने की थी. जानिए गोपेश्वर महादेव इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी. उन्होंने कहा कि इस महारास में सिर्फ महिलाएं ही शामिल हो सकती हैं. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें सुझाव दिया कि वो गोपी के रूप में महारास में शामिल हों और इसके लिए यमुना जी की मदद लें. यमुना जी ने महादेव के आग्रह पर उनका गोपी के रूप में श्रृंगार किया. इसके बाद मह...

Gharat, ghat .. uttarakhand culture || Ghat natural resources

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uttrakhand history parmote in uttrakhand... Gharat, ghat ..., There is no generator, electricity, tunnel, DPR, blaster nor exploitation of natural resources, but conservation of natural resources as well as the invention of a machine that runs only by water and used to make people self-reliant, people I used to promote mutualism, this machine named of the mountain. Now this is not seen so much! However, when you are going towards the hill village of Uttarakhand state then gharat / watermill on some river and drain; It must have looked barren, but it was a folk science, which people used to make themselves from the natural resources around them and all the work of milling grain was impossible without this gharat. The interplay was so that instead of grinding the grain, a small amount of grain was given to the owner. If water could not run without gharat, people also used to provide water conservation. As a result, the water that was brought to Gharat also flowed continuou...