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उत्तराखंड के प्राचीन माप तौल ||measurement and weighing system of uttarakhand

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Devbhoomi india   प्राचीन काल में उत्तराखंड में मपतोल के अनेक विधिया तथा साधन प्रचलित थे । जिनमें से कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी प्रयुक्त होते हैं । इनमें नाली ( 2 किग्रा ) , बीसी ( 40 किग्रा ० ) , साणा ( ½ किग्रा ० ) , तामी ( 4 किग्रा ) , कुड़ी ( 1 किग्रा ) , दोण ( 32 किग्रा ) , खारी ( 16 मन ) एवं कवासी आदि प्रमुख हैं । ये साधन लकड़ी , तांबा , लोहा , पीतल आदि से बनाये जाते थे । उत्तराखंड में पहले माप तौल के लिए किलोग्राम, मीटर, फुट, हेक्टेयर जैसे मापन इकाईयों का प्रयोग नहीं होता था, आज कल मैदानी क्षेत्रों में अब इन का प्रयोग होने लगा है पर पहाड़ों में आज भी पुरानी इकाईयों का प्रयोग ज्यादा होता है... तो जानते हैं इनके बारे में जो हमारे देनिक काम में भी कुछ काम आये...  पहाड़ों में जब भी अनाजों और दालों को तोला जाता है तो ग्राम या किलोग्राम से ज्यादा प्रयोग मुट्ठी, सेर, पाथा, मण जैसे तरीको का होता है... आज भी पहाड़ो में शादी में जब भात पकाया जाता है तो चावल को मण में ही तोला जाता है...  अनाज और दलहनी सामानों के लिए  1 मुट्ठी = 62.5 ग्राम  1 सेर = 8 मुट्ठी = 500 ग्राम  1 कूडी = 1 किलो ग