via https://youtu.be/xOQKwoeYkvk ऐड़ी देवता कहा जाता है कि ऐड़ी देवता रात के समय घने जगलों के शिखरों पर घूमता है. शिकार के शौक़ीन ऐड़ी देवता कुत्तों के साथ घुमते हैं जिनके गले में घंटी बजी होती है. ऐड़ी देवता के चार हाथ होते हैं जिनमें वह धनुष बाण, तलवार, त्रिशूल, लोहे के डंडे इत्यादि पकड़े रहते हैं. आंचरी और चांचरी नाम की दो चुड़ेलें ऐड़ी देवता की अंग रक्षक होती हैं. ऐड़ी देवता की पालकी उनके दो सेवक साऊ और भाऊ उठाते हैं. ऐड़ी देवता भूत और परियों के साथ घुमते हैं. ऐड़ी देवता के विषय में माना जाता है कि जो भी उसके कुत्तों का भौंकना सुन लेता है अवश्य कष्ट पाता है. भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की वैबसाइट में ऐड़ी देवता के विषय में लिखा गया है कि य यदि किसी पर ऐड़ी की नज़र पड़ गई, तो वह मर जाता है. उन लोगों के साथ ऐसा कम होता है जो अस्र-शस्रों से सुसज्जित रहते हैं. ऐड़ी का थूक जिस पर पड़ गया, तो विष बन जाता है. इसकी दवा ‘झाड़-फूँक’ है. ऐड़ी को सामने-सामने देखने से मनुष्य तुरंत मर जाता है, या उसकी आँखों की ज्योति चली जाती है, या उसे कुत्ते फाड़ डालते हैं, या परियाँ (आँचरी, कींचरी)...