संदेश

#pankajuttarakhand लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Natural Resources of Uttarakhand || उत्तराखंड से लुप्त हो रहे संसाधन ||Resources disappearing from Uttarakhand ||

चित्र
उत्तराखंड ��������की सभ्यता संस्कृति�� #pankajuttarakhand���� Follow devbhoomi uttarakhand group नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगों को उत्तराखंड से लुप्त हो रहे संसाधन उत्तराखंड में फ्री में मुफ्त में जो संसाधन मिले थे जो प्राकृतिक संसाधन थे। वह धीरे-धीरे लुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हीं के बारे में मैंने कुछ वीडियो आप लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। आप ऊपर जाकर वीडियो देखें। आप समझ पाएंगे कि किस तरह से हमारे संसाधन लुप्त होते जा रहे हैं और देव भूमि उत्तराखंड उम्मीद करता है। इन संसाधनों को बचाने में आप अपनी अहम भूमिका निभाएंगे और जितने भी लोगों को आप वीडियो पहुंचा सके। जितनी भी लोग इसके बारे में जान सकें। वह हमारे लिए सबसे बेहतर होगा तो जुड़े रहे देवभूमि उत्तराखंड के साथ को फॉलो जरूर कर लीजिए और लीजिए बाकी से जुड़ने के लिए आप मुझे फेसबुक टि्वटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। #PANKAJUTTARAKHAND

उत्तराखंड के लोक देवता भी अब पलायन करने लगे || कुमाऊं में 200 लोकदेवता ||

उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳की सभ्यता संस्कृति🙏 #pankajdevbhoomi🙏🙏 uttarakhand devi devta part 1 उत्तराखंड के लोक देवता भी अब पलायन करने लगे🙏🙏 उत्तराखंड में गांवों के लोक देवता भी अब पलायन करने लगे हैं। कुमाऊं के गांव में बचे चंद *परिवारों के पलायन के बाद पहाड़ों पर लोक देवताओं के मू ल स्थान संकट में हैं। हालात ये हैं कि मंदिरों में सुबह-शाम दीपक जलाने के लिए भी लोग नहीं हैं। दशकों पहले पलायन कर चुके लोग इष्ट देवताओं के मंदिरों को भी तराई-भाबर में स्थापित करने लगे हैं| नैनीताल-ऊधमसिंह  नगर आकर बसे लोक देवता: मा न्य ता के अनुसार पहाड़ में जंगली जानवरों, आपदा जैसे खतरों से लोगों और उनकी फसलों की रक्षा करने वाले लोक देवताओं के सबसे अधिक मंदिर अब नै नी ताल जिले के मैदानी हिस्से में हैं| इतिहासकार इतिहासकार डॉ. प्रयाग जोशी बताते हैं कि देवताओं का यह पलायन राज्य बनने के बाद *अधिक तेजी से बढ़ा है। पिछले सालों में सबसे अधिक मंदिर हल्द्वानी, कालाढूंगी, लालकुआं और रामनगर में स्थापित हुए हैं। ऊधमसिंह नगर के खटीमा में बड़ी संख्या में पहाड़ के लो कदे वताओं के मंदिर हैं| इतिहासकारों

हरू (हरूज्यू ) देवता || उत्तराखंड || haru devta ki kahani || harju baisi || haru devta history ||

चित्र
via https://youtu.be/tKYxi0Adics Devbhoomi uttarakhand कुमाऊं के लोक देवता। हरू हरु एक अच्छी प्रवृत्ति शुध्द आचरण और दैवीय शक्ति से परिपूर्ण सात्विक देवता हैं। हरू की पूजा पूरे कूर्मांचल में बड़ी श्रध्दा से पूजा होती है। कहते हैं चंपावत के राजा थे हरीशचंद्र। वे राजपाट छोड़कर तपश्वी हो गये और हरिद्वार में रहने लगे। ऐसी कहावत है हरिद्वार में हरि की पैड़ी हरू देवता ने ही बनाई। उन्होंने चारों धाम जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, बद्रीनाथ और द्वारिकापुरी की परिक्रमा की। चारों धामों से लौटकर चंपावत में ही अपना जीवन दीन दुखियों की सेवा व धर्म कर्म में व्यतीत करने लगे। हरूज्यू नेअपना एक भ्रातिमंडल भी बनाया। उनके भाई लाटू व सेवक स्यूरा, प्यूरा, रूढ़ा कठायत, खोलिया, मेलिया, मंगलिया, उजलिया सब उनके शिष्य हो गए और राजा हरू उनके गुरू हो गए। तपस्या, सदाचार, ध्यान व योग के कारण हरज्यू सर्वत्र पूजे जाने लगे। उनकी कृपा से अपुत्र को पुत्र, निर्धन को धन, दुखी सुखी होने लगे, अंधे देखने लगे, लंगड़े चलने लगे, धूर्त सदाचारी होने लगे। देहावसान के बाद हरूज्यू के मंदिर बनाकर पूजा होने लगी। कुमाऊं में यह बात प्रचल