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अपने पहाड़ी घर को सुंदर बनाओ ||uttarakhand home || Uttarakhand culture

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लिखाई लगाओ – अपने पहाड़ी घर को सुंदर बनाओ! Devbhoomi India  ललित जी ने उत्तराखंड की पुरानी मशहूर हस्तशिल्प कला को बचाए रखा है, आप भी उनके द्वारा बनाई गई हस्तशिल्प कला को देखिए, सबसे अच्छी बात ये हे की अब उनके परिवार की अगली पीढ़ी ने इस कला को जीवित रखने की जिम्मेदारी उठाई है, यह हैं #ललित, डायरी गाँव (पिओरा) से। ये अपनी पीढ़ी के आख़िरी जीवित लिखाई कलाकारों में से एक माने जाते हैं। ललित ने स्वर्गीय #गंगाराम जी से यह पारंपरिक कला सीखी है। अब वे खुद ही सुंदर डिज़ाइन तराशते हैं – पूरी लगन और सटीकता से। ललित कहते हैं: "जब मैं लिखाई करता हूँ, तो सारी दुनिया भूल जाता हूँ। यही मेरे जीवन का उद्देश्य है।" उन्होंने एक छोटा-सा शेड बनाया है जहाँ वे रोज़ काम करते हैं। आपका सहयोग न केवल उनके परिवार की मदद करेगा, बल्कि इस लुप्त होती कला को भी नया जीवन देगा। क्या कर सकते हैं ललित? पुराने डिज़ाइन दोबारा बना सकते हैं (अगर कोई नमूना या चित्र दिखाया जाए) नए डिज़ाइन और बॉर्डर भी बना सकते हैं (अगर रचनात्मक स्वतंत्रता मिले) कीमत: ₹1000 से ₹1500 प्रति दिन (डिज़ाइन पर निर्भर)  नोट: लकड़ी का ख़र्च अलग ...

फुलदेई पर्व उत्तराखंड || famous festival phooldei || phooldei festival uttarakhand

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via https://www.youtube.com/watch?v=Pf-7Cq_ZFdg

उत्तराखंड लोक पर्व बिखोती || Bikhoti festivals in Hindi || bikhoti mela Uttarakhand

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via https://youtu.be/8JqPX1XQcKo उत्तराखंड की संस्कृति और इतिहास   प्रत्येक साल बैसाख माह के पहली तिथि को भगवान सूर्यदेव अपनी श्रेष्ठ राशी मेष राशी में विचरण करते हैं।इस स्थिति या संक्रांति को विषुवत संक्रांति या विशुवती त्योहार या उत्तराखंड की लोक भाषा कुमाऊनी में बिखोती त्योहार कहते हैं। विषुवत संक्रांति को विष का निदान करने वाली संक्रांति भी कहा जाता है। कहा जाता है, इस दिन दान स्नान से खतरनाक से खतरनाक विष का निदान हो जाता है। विषुवत संक्रांति के दिन गंगा स्नान का महत्व बताया गया है। बिखौती का मतलब भी कुमाउनी में विष का निदान होता है। बिखौती त्यौहार को कुमाऊ के कुछ क्षेत्रों में बुढ़ त्यार भी कहा जाता है। बुढ़ त्यार का मतलब होता है, बूढ़ा त्यौहार बिखौती त्यौहार को बुढ़ त्यार ( बूढ़ा त्यौहार ) क्यों कहते है  गांव के बड़े बूढे लोग बताते हैं ,कि विषुवत संक्रांति के दिन बिखौती त्यौहार के बाद लगभग 3 माह के अंतराल बाद कोई त्योहार आता है। मतलब सूर्य भगवान के उत्तरायण स्थिति में यह अंतिम त्यौहार होता है। इसके 3 माह बाद पहाड़ में हरेला त्योहार आता है। हरेला त्योहार सूर्य भगवान कि द...

jiya Rani temple Ranibag || Live Darshan jiya rani || RANIBAG HALDWANI

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via https://youtu.be/Sm2kPFo7PXc नमस्कार दोस्तों आज की इस वीडियो में हम देख रहे हैं। जिया रानी का प्रसिद्ध मंदिर जो कि रानीबाग हल्द्वानी में स्थित है। वह हल्द्वानी से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नैनीताल हाइवे पर यही से कुछ दूरी से भीमताल को भी रोड करती है। एक भीमताल को करते हैं और एक भवाली को वही का खूबसूरत जियूं। मैं आज की वीडियो में आप लोगों को देखा रहा हूं। उम्मीद करता हूं। आप लोगों को वीडियो जरूर पसंद आएगी। वीडियो पसंद आती है तो अधिक से अधिक लोगों तक शेयर जरूर कीजिएगा और ऐसी वीडियो के लिए चैनल को सब्सक्राइब जरूर कीजिएगा। #uttarakhandtempleyatra