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उत्तराखंड स्थापना दिवस कब है || Uttarakhand satapna diwas 2024

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via https://www.youtube.com/watch?v=gWi-J5NPvLk उत्तराखंड स्थापना दिवस 2024: गर्व, संस्कृति, और विकास का उत्सव हर साल 9 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इस वर्ष 2024 में हम उत्तराखंड की 24वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह दिन उत्तराखंड के निवासियों के लिए अपने राज्य की समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, और विकास को मनाने का एक अवसर है। उत्तराखंड का इतिहास, संस्कृति, और उसके लोगों की मेहनत का प्रतीक यह स्थापना दिवस हर साल राज्य के भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। उत्तराखंड का गठन:  एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 2000 में, उत्तर प्रदेश के पर्वतीय जिलों को अलग कर एक नया राज्य बनाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। वर्षों के संघर्ष और आंदोलनों के बाद, अंततः 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड भारत का 27वां राज्य बना। इस नए राज्य का गठन मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक, सामाजिक, और आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया था। उत्तराखंड का सांस्कृतिक वैभव उत्तराखंड की संस्कृति में कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों की पारंपरिक विरासत का अद्भुत मिश्रण दे...

फुलों की घाटी उत्तराखंड || phoolo ki ghati Chamoli || valley of flowers 🌻🌹

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via https://youtu.be/jidZ7ddXbNc फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं. यह भारतवर्ष के उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में मौजूद है. यह फूलों की घाटी विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा साल 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी अभयारण्य- नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है. पूरी घाटी दुर्लभ और विदेशी हिमालयी फूलों से भरी हुई है. यहां फूलों की 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें एनीमोन, जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लू पोस्पी और ब्लूबेल शामिल हैं. हालांकि यहां का ब्रह्म कमल सबसे खूबसूरत है, जिसे उत्तराखंड का राज्य फूल भी कहा जाता है. यहां पर पाए जाने वाले तरह तरह के सुंदर फूल पर्यटकों को अपनी तरफ खींचते हैं. फूलों की घाटी तक पहुंचने वाले रास्ते में कई खूबसूरत पुल, ग्लेशियर और झरने भी देखने को मिलेंगे. घाटी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल भी देखने को मिलेंगें. #फूलोंकीघाटीउत्तराखंड #ValleyofFlowers #devbhoomiindia #उत्तराखंड

उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्र || दमु नागोड़ ,मसकबीन || musical instruments of Uttarakhand ||

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via https://youtu.be/feY-bsAM11w                   नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम बात कर रहे हैं। उत्तराखंड की कुछ संसाधनों के बारे में उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों के बारे में,  उत्तराखंड के केई  वाद्य यंत्र धीरे-धीरे लुप्त होने की कगार पर है। पहले यह वाद्ययंत्र हमारे घरों में कोई भी शुभ कार्य होता था तो बजाए जाते थे जिसमे दमु, नागर, ढो( ढोल ) और मसकबीन के बारे में मैंने आज की  पोस्ट में आप लोगों को बता रहा हूं, कि मसकबीन और दमु, नागर वह हमारे लोक वाद्य यंत्र थे और ऐसे ही कई और वाद्य यंत्र भी हैं। उनके बारे में मैं आपको नेक्स्ट पोस्ट में बताऊंगा,     musical instruments of Uttarakhand                                                 उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों की एक बात बहुत विशेष थी कि इनमें हर एक समारोह में अलग अलग धुन बजाई जाती थी , जो कि उत्तराखंड...

उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति || Uttarakhand civilization and culturebin Hindi ||

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तिमुल उत्तराखंड की संस्कृति और उत्तराखंड की सभ्यता। उत्तराखंड की संस्कृति के मौसम और जलवायु के अनुरूप है या उत्तराखंड एक पहाड़ी इलाका है और इसलिए यहां ठंड बहुत होती है। इसलिए ठंडी जलवायु के आस-पास ही उत्तराखंड की संस्कृति के सभी पहलुओं जैसे रहन-सहन, वेशभूषा, लोककला इत्यादि घूमते हैं। 1 रहन-सहन   2 त्योहार,     3खान-पान,   4 वेशभूषा लोक कलाएं। 5 लोक नृत्य,  6 भाषाएं इत्यादि उत्तराखंड के सभ्यता संस्कृति 1 उत्तराखंड के रहन-सहन रहन-सहन   के मकान पक्के होते हैं। दीवारों पत्रों की होती है। पुराने घरों के ऊपर से पत्थर बिछाए जाते हैं। वर्तमान में लोकतंत्र का उपयोग करने लगते हैं। अधिकतर घरों में रात को रोटी तथा दिन में भात खाने के प्रचलन है। लगभग हर महीने कोई ना कोई त्योहार मनाया जातास्थानीय स्तर पर गाए जाने वाली देहात राजभर आदि दालों का प्रयोग होता है। प्राचीन समय में मधु आवाज मंगल स्थानी मोटा अनाज होता था। अब इनका उत्पादन बहुत कम हो गया। अब लोग बाजार से गेहूं चावल खरीदना है। फिर से के साथ पशुपालन लगभग सभी घरों में ह...