विश्व पर्यावरण दिवस2020 || World Environment Day 2020 ||माता पिता की तरह निस्वार्थ प्रेम |uttrakhand


via https://youtu.be/ZqPPcc3Kcbc
पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस इतिहास संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 1972 में इस कोर्ट होम में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला परिणाम सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। इसके बाद से उनका विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा। 1972 में इस दिन को मनाने की नींव रखीआज विश्व पर्यावरण दिवस है। यह हर साल दुनिया भर में 5 जून को मनाया जाता है। पर्यावरण की समस्या पर सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ में खोट है। मैं विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था इसमें 119 देशों में देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी में सिद्धांत मां ने किया कि इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यक्रम का जन्म हुआ था तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित कर के नागरिकों के प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागरूकता करना आम जनता को प्रेरित करना था।मानव जीवन प्रकृति संसाधनों पर आधार आधारित है। हजारों वर्षों में हम प्रकृति पर आरक्षित है। पर पिछले कुछ दशकों से हमने आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया है। बड़े पैमाने पर किया गया जिसके परिणाम यह है कि पृथ्वी के वातावरण आने परिवर्तन में जैसे तापमान में बढ़ोतरी ओजोन परत में छेद होना। इसके साथ ही बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं का वर्णन अर्थ प्रकृति को बिना मानव जीवन संभव नहीं। ऐसे हमें इस प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए। प्रकृति के इसी महत्व को देखते हुए हर साल 5 जून कोपर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया है।हर साल पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए एक टीम रखी जाती है। इस वर्ष पर्यावरणईश्वर से पर्यावरण दिवस का थीम ए टाइमर ऑफ नेचर था तो प्रकृति के लिए समय और बायोटेस्ट इसके माध्यम से जीवन के जैव विविधताओं के माध्यम पर ध्यान केंद्रित करना है। हमारे लगातार दोहन से प्रकृति की स्थिति लगातार खराब हुई है। ऐसे में हमें कुछ ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे हम पर्यावरण की रक्षा में योगदान दे सके। हम आज कुछ तरीके बताएंगे कि आप कैसे पर्यावरण संरक्षण में योगदानप्लास्टिक का प्रयोग ना करें। आज समय में प्लास्टिक सबसे अधिक पर्यावरण को प्रभावित कर रहे राष्ट्रीय की वजह से कितने भी जीव विलुप्त होने के कगार में समुद्री जीवो को भी प्लास्टिक ने बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है। कछुआ मछली शहर और अन्य जीव-जंतुओं को इसमें सम्मान करना पड़ रहा है। बारिश के पानी का संग्रहण के समय में मनुष्य के लिए सबसे बड़ी समस्या पानी लगातार पानी की कमी हो रही है। कई देशों में पानी न के बराबर रह गया। ऐसे में बारिश के पानी को सुरक्षा करना चाहिए। कोयले की जगह अन्य स्रोतों से बिजली बनाएं। कोयले में कार्बन डाइऑक्साइड जाते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम बिजली बनाने में सौर ऊर्जा और असुरों की माता थी।

By
Devbhoomi uttarakhand
#uttarakhand_today
#dev_bhoomi_pankaj

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

निरंकार देवता उत्तराखंड || Nirankar Devta Story In Hindi || nirankar devta jager

बागनाथ मंदिर (बागेश्वर) || bageshwar uttarakhand india || About bageshwar