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मई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माँ सूर्या देवी मंदिर || Surya mata temple golapar |||Surya Devi temple haldwani uttarakhand

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via https://youtu.be/sQRWUsPHlNA

चंपावत उत्तराखंड || history of Champawat || Champawat tourist place

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via https://youtu.be/N75h-3YeIvc

न्याय के देवता गोलू देवता || Chitai Golu Devta Mandir || Uttarakhand Golu Devta temple

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via https://youtu.be/ypW9xEujz_o

Uttarakhand city ||famous city in Uttarakhand India || kumaon popular city ||

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via https://youtu.be/6wXvKeU_F5M

श्रीनगर उत्तराखण्ड || srinagar uttarakhand history || Srinagar city in Uttarakhand

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via https://youtu.be/hKCHGKtK5IQ श्रीनगर अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है जो हरे भरे पहाड़ों, हरे भरे जंगल और अलकनंदा नदी का प्रतीक है, जिसके बारे में माना जाता है कि श्री आदि शंकराचार्य ने इसमें फेंके गए बुरे श्री यंत्र (चट्टान) को जलमग्न कर दिया था। श्रीनगर गढ़वाल के प्राचीनतम नगरों में से एक है। वर्ष 1680 में यहां की जनसंख्या 7,000 से अधिक थी तथा यह गढ़वाल राज्य की राजधानी होने के साथ साथ एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र तथा बाजार के रूप में भी जाना जाता था।

नैनीताल उत्तराखंड || nanital town in India || History in nanital || Uttarakhand City nanital

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via https://youtu.be/Rjcym5AiVvw नैनीताल भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में एक हिमालयी रिसॉर्ट शहर है, जो लगभग 2,000 मीटर की ऊंचाई पर है।  पूर्व में एक ब्रिटिश हिल स्टेशन, यह नैनीताल झील के आसपास स्थित है, इसके उत्तरी किनारे पर नैना देवी हिंदू मंदिर है|

हरिद्वार उत्तराखंड || haridwar facts || history in haridwar uttarakhand india

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via https://youtu.be/L4qYTCNJ6tU “हरिद्वार” उत्तराखंड में स्थित भारत के सात सबसे पवित्र स्थलों में से एक है | यह बहुत प्राचीन नगरी है और उत्तरी भारत में स्थित है | हरिद्वार उत्तराखंड के चार पवित्र चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी है | यह भगवान शिव की भूमि और भगवान विष्णु की भूमि भी है। इसे सत्ता की भूमि के रूप में भी जाना जाता है | मायापुरी शहर को मायापुरी, गंगाद्वार और कपिलास्थान नाम से भी मान्यता प्राप्त है और वास्तव में इसका नाम “गेटवे ऑफ़ द गॉड्स” है । यह पवित्र शहर भारत की जटिल संस्कृति और प्राचीन सभ्यता का खजाना है | हरिद्वार शिवालिक पहाडियों के कोड में बसा हुआ है | हरिद्वार” का शाब्दिक अर्थ पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे “हरिद्वार” का शाब्दिक अर्थ “हरी तक पहुचने का द्वार” है | हरिद्वार चार प्रमुख स्थलों का प्रवेश द्वार भी है | हिन्दू धर्मं के अनुयायी का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है | प्रसिद्ध तीर्थ स्थान “बद्रीनारायण” तथा “केदारनाथ” धाम “भगवान विष्णु” एवम् “भगवान शिव “ के तीर्थ स्थान का रास्ता (मार्ग) हरिद्वार से ही जाता है | इसलिए इस जगह को “हरिद्वार” तथा “हरद्वार” दोनों ही नामों स

पिथौरागढ़ का इतिहास || Pithoragarh Uttarakhand India

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via https://youtu.be/p7Ow8NIibWo

बद्रीनाथ धाम || badrinath temple history || badrinath temple yatra

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via https://youtu.be/v657m4-xEzI

बागेश्वर || Bageshwar Uttarakhand India || history of Bageshwar || Uttarakhand city Bageshwar

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via https://youtu.be/0myL4m93uL8

देवप्रयाग || Devparyag Sangam || Devparyag Uttarakhand India || history of Devparyag

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via https://youtu.be/w4pyJuavzwk दोस्तों और की विडियो में हम जानेंगे देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। गंगा माँ के मंदिर के समीप ही संगम के किनारे पर छोटी सी गुफा स्थित है | जो की “हनुमान गुफा” के नाम से जानी जाती है | देवप्रयाग में स्थित हनुमान गुफा के बारे में यह मान्यता है कि भगवान हनुमान इस स्थान पर आये थे | और उन्होंने देवप्रयाग में पवित्र स्नान करने के बाद श्रीराम पर ध्यान लगाया था | और वर्तमान समय में देवप्रयाग में एक चट्टान के ऊपर श्री हनुमान जी की मूर्ति उभरी हुई है , Devbhoomi india गढ़वाल क्षेत्र में मान्यतानुसार भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। यहां के मुख्य आकर्षण में संगम

अल्मोड़ा उत्तराखंड भारत || history of Almora || almora uttarakhand tourism || City of Uttarakhand

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via https://youtu.be/3l1hbNluaxo   Almora Uttarakhand अल्मोड़ा जिला उत्तराखंड के कुमाऊं मण्डल का एक जिला है , जिसका मुख्यालय अल्मोड़ा नगर में है | अल्मोड़ा एक पहाड़ी जिला है जो की घोड़े के खुर के समान रूप में बना हुआ है | अल्मोड़ा जिले का क्षेत्रफल ३०८२ वर्ग किलोमीटर है | एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि अल्मोड़ा की कौशिका देवी ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दानवो को इसी क्षेत्र में मारा था | अल्मोड़ा पर पहले चाँद साम्राज्य का अधिकार था फिर कत्यूरी राजवंश का हो गया ।  अल्मोड़ा का इतिहास यह 1815 में एंग्लो-गोरखा युद्ध में गोरखा सेना की हार और सुगौली की 1816 संधि के बाद 1815 में बनाया गया था| कुमाऊं जिले में काशीपुर में मुख्यालय के साथ तराई जिले को छोड़कर पूरा कुमाऊं डिवीजन शामिल था। 1837 में, गढ़वाल को मुख्यालय पौड़ी में एक अलग जिला बनाया गया।