देवप्रयाग || Devparyag Sangam || Devparyag Uttarakhand India || history of Devparyag
via https://youtu.be/w4pyJuavzwk
दोस्तों और की विडियो में हम जानेंगे देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। गंगा माँ के मंदिर के समीप ही संगम के किनारे पर छोटी सी गुफा स्थित है | जो की “हनुमान गुफा” के नाम से जानी जाती है | देवप्रयाग में स्थित हनुमान गुफा के बारे में यह मान्यता है कि भगवान हनुमान इस स्थान पर आये थे | और उन्होंने देवप्रयाग में पवित्र स्नान करने के बाद श्रीराम पर ध्यान लगाया था | और वर्तमान समय में देवप्रयाग में एक चट्टान के ऊपर श्री हनुमान जी की मूर्ति उभरी हुई है ,
Devbhoomi india |
गढ़वाल क्षेत्र में मान्यतानुसार भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। यहां के मुख्य आकर्षण में संगम के अलावा एक शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर हैं जिनमें रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली से निर्मित है। देवप्रयाग प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। यहां का सौन्दर्य अद्वितीय है
पौराणिक कथा के अनुसार ऋषिमुनि देवशर्मा ने इसी जगह पर भगवान विष्णु की कठिन तपस्या करी थी | भगवान विष्णु ने ऋषिमुनि देवशर्मा की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान दिया किया कि इस स्थान की प्रसिद्धता तीनो लोक में विस्तारित होगी और यह स्थान कालान्तर तक तुम्हारे नाम से प्रसिद्ध होगा |तब से इस स्थान को “देवप्रयाग” नामक स्थान की उपाधि मिली |
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त करके वापस लौटे थे , तो भगवान राम को ब्राह्मण हत्या यानी “रावण वध” के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषिमुनि ने सुझाव दिया कि देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा के संगम तट पर तपस्या करने से ही भगवान राम को ब्राहमण हत्या के दोष से मुक्ति मिल सकती है इसलिए भगवान राम ने नदियों के संगम स्थल के समीप साधना स्थली में एक शिला पर बैठकर लम्बी अवधि तक तप किया और वर्तमान समय में पण्डे पुरोहित उस शिला को दिखाते है | उस विशाल शिला पर आज भी ऐसे निशान बने है , जैसे कि लम्बे समय तक किसी के शिला में पालथी मारकर बैठने से घिसकर बने हो |
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