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बागेश्वर || Bageshwar uttarakhand India || bagnath tempale Bageshwar uttarakhand

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uttrakhand history parmote in uttrakhand.. . जिले के बारे में बागेश्वर कुमाँऊ के सबसे पुराने नगरो में से एक है। यह काशी के समान ही पवित्र तीर्थ माना जाता है।  उत्तराखंड अपनी नायाब खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां आपको सुंदर-सुंदर मंदिर से लेकर कई बेहतरीन जगहें देखने को मिलेगी।उत्तराखंड की खूबसूरती को शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है। ऐसे ही उत्तराखंड का एक शहर जो बागेश्वर के रूप में जाना जाता है। बागेश्वर शहर भी अपनी खूबसूरती और कई प्राचीन मंदिरो के लिए पूरे देश में जाना जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर है जिनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि बागेश्वर भगवान शिव का शहर है। अगर आपको भी कभी बागेश्वर जाने का मौका मिलें तो  जाना न भूलें | सुंदरढुंगा ग्लेशियर    सुंदरढुंगा ग्लेशियर को वैली ऑफ ब्यूटीफुल स्टोन्स भी कहा जाता है। विशाल भू-भाग में फैले इस ग्लेशियर पर पहुंचते ही आपको जन्नत का एहसास होगा। इस ग्लेशियर की खूबसूरती का जितना बखान किया जाए , उतना कम है। इस ग्लेशियर पर पड़ने वाली सूरज की किरणें आपके मन को मोह लेगी। यह ग्लेशियर खूबसूरती का एक अनोखा नमूना ह

Story of Golju Devta || Golu Devta english ||

uttrakhand history parmote in uttrakhand... Story of Golju Devta  According to legends, the origin of the "Golu Devta" is believed to be from the "King Jhalrai" of the Katyur dynasty, the capital of the erstwhile kingdom was Dhumakot Champawat. He was a childless child even though King Jhalrai had seven queens. In the hope of getting a child, the king performed a Bhairava yagya from Siddhi Baba of Kashi and in his dream, "Gaura Bhairava" appeared to him and said, "Rajan, now marry you eighth", I will be born from the same queen's womb as your son. Made an eighth marriage to "Kalinka". And soon the queen became pregnant. Due to being pregnant, envy ensued among the seven queens. The queens hatched a conspiracy and told Kalinka that in order to avoid the wrath of the planets, the child born from the mother would not have to see the face for seven days. And on the day of delivery, seven queens replace the newborn with silbatt

mata sati || सती

uttrakhand history parmote in uttrakhand... दक्ष प्रजापति की सभी पुत्रियां गुणवती थीं। फिर भी दक्ष के मन में संतोष नहीं था। वे चाहते थे उनके घर में एक ऐसी पुत्री का जन्म हो, जो सर्व शक्ति-संपन्न हो एवं सर्वविजयिनी हो। अत: दक्ष एक ऐसी ही पुत्री के लिए तप करने लगे। तप करते-करते अधिक दिन बीत गए, तो भगवती आद्या ने प्रकट होकर कहा, 'मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूं। तुम किस कारण तप कर रहे हो? दक्ष ने तप करने का कारण बताया तो मां बोली मैं स्वयं पुत्री रूप में तुम्हारे यहां जन्म धारण करूंगी। मेरा नाम होगा सती। सती के रूप में जन्म लेकर अपनी लीलाओं का विस्तार करूंगी। फलतः भगवती आद्या ने सती रूप में दक्ष के यहां जन्म लिया। सती दक्ष की सभी पुत्रियों में सबसे अलौकिक थीं। सती ने बाल्यावस्था में ही कई ऐसे अलौकिक आश्चर्य चकित करने वाले कार्य कर दिखाए थे, जिन्हें देखकर स्वयं दक्ष को भी विस्मयता होती रहती थी। जब सती विवाह योग्य हो गई, तो दक्ष को उनके लिए वर की चिंता होने लगी। उन्होंने ब्रह्मा जी से इस विषय में परामर्श किया घर में सती से किसी ने भी प्रेमपूर्वक वार्तालाप नहीं किया। दक्ष ने उन्ह

कोटगाड़ी की माता ||Kotgadhi mandir pithoragdh uttarakhand

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उत्तराखंड का इतिहास उत्तराखंड में परमोटे। यूट्यूब वीडियो लिंक https://youtu.be/O0gmKbxPdYc यूट्यूब वीडियो लिंक  https://youtu.be/05RNUFzYxdk ese देवभूमि उत्तराखंड    मां की घबराहट, मंदिर का इतिहास !  पिथौरागढ़। पांखू (बेड़ीनाग) में स्थित मां कोकिला   के मंदिर को न्याय के मंदिर के रूप में जाना जाता है। लोग आपसी विवाद, लड़ाई-झगड़े के मामलों में कोर्ट में जाने के बजाय मां  मां   के दरबार में ले जाना पसंद करते हैं। मंदिर में   टेक्सचर  छपाई में  न्याय  की धार लगी हुई है। मंदिर में टंगी संख्या वाली अर्जियां इस बात की गवाही देती हैं।  जंगल की रक्षा  के लिए लोग  पांच, 10 साल  के लिए जंगल  मां कोकिला को चढ़ाते  हैं। बेहद रमणीक स्थान पर स्थित मां कोकिला के दरबार के चाहने वाले देश, दुनिया में बहुत हैं।  उत्तराखंड की पावन धरती में  भगवान शंकर सहित 33 कोटि दुनिया  के दर्शन होते हैं। देवत्व के लिए प्रसिद्ध इस देवभूमि उत्तराखंड के कोटगाड़ी ग्राम में कोकिला देवी नाम की एक ऐसी देवी हैं, जिनके दरबार में कोर्ट सहित हर दर से मायूस हो चुके लोग आकर न्याय की गुहार लगाते हैं

कुमाऊं के देवता के नाम, उत्तराखंड के देवताओं के नाम

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कुमाऊं के देवता के नाम, उत्तराखंड के देवताओं के नाम Uttarakhand ko devbhoomi kyu kaha jata hai / Uttarakhand tourism नमस्कार दोस्तों मैं देवभूमि उत्तराखंड आपका अपने यूट्यूब चैनल में स्वागत करता हूं मैं यहां आपको उत्तराखंड के देवताओं के बारे में उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में बताना है कि जा रहा हूं उसमें आप मेरा सपोर्ट करेंगे ऐसी उम्मीद करता हूं,! दोस्तों यहां से आपको अपनी संस्कृति कल्चर सभ्यता से रिलेटेड वीडियो मिलेंगी और उत्तराखंड के सभी जो टूरिस्ट प्लेस है उनके बारे में जानकारी और वीडियो मिलेगी और सभी उत्तराखंड के मंदिरों का इतिहास और उनके बारे में वीडियो मिलेंगी.

बागनाथ मंदिर (बागेश्वर) || bageshwar uttarakhand india || About bageshwar

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बागनाथ मंदिर https://www.youtube.com/watch?v=p3ADVSVG09M&t=44s बागनाथ मंदिर (बागेश्वर) बागनाथ मंदिर उत्तराखण्ड में बागनाथ की स्थिति निर्देशांक: 29°50′12″N निर्देशांक: 79°49′21″E बागनाथ मंदिर बागनाथ मंदिर (बागेश्वर) बागनाथ मंदिर उत्तराखण्ड में. बागेश्वर ऊंचाई: 1,004 मी॰ (3,294 फीट) वास्तुकला और संस्कृति प्रमुख आराध्य: शिव (बाग नाथ) महत्वपूर्ण उत्सव: 1  दीपावली ,  2 शिवरात्रि और  3 उत्तरायणी मेला स्थापत्य        🙏🙏शैली🙏🙏 नागर शैली मंदिरों की संख्या: 1 इतिहास निर्माण तिथि: (वर्तमान संरचना) 1602 निर्माता: लक्ष्मी चंद बागनाथ मंदिर, भारत के उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले के बागेश्वर में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है।  = 👉 यह बागेश्वर जिले का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है., =👉 बागेश्वर जिले का नाम भी इसी मंदिर के नाम पर पड़ा है,  =👉 यह सरयू तथा गोमती नदियों के संगम पर बागेश्वर नगर में स्थित है. =👉 इस मंदिर की नक्काशी अत्यन्त प्रभाशाली है। स्थान👇 1 👉देश: भारत 👉राज्य: उत्तराखण्ड.                   👉जिला: बागेश्वर 👉स्थान: बागेश्व