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अगस्त, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Uttarakhand village life || MY VILLAGE GHETI ||uttarakhand village tour |pankajuttarakhand

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via https://youtu.be/efNnZhjsGwc

उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति || Uttarakhand civilization and culturebin Hindi ||

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तिमुल उत्तराखंड की संस्कृति और उत्तराखंड की सभ्यता। उत्तराखंड की संस्कृति के मौसम और जलवायु के अनुरूप है या उत्तराखंड एक पहाड़ी इलाका है और इसलिए यहां ठंड बहुत होती है। इसलिए ठंडी जलवायु के आस-पास ही उत्तराखंड की संस्कृति के सभी पहलुओं जैसे रहन-सहन, वेशभूषा, लोककला इत्यादि घूमते हैं। 1 रहन-सहन   2 त्योहार,     3खान-पान,   4 वेशभूषा लोक कलाएं। 5 लोक नृत्य,  6 भाषाएं इत्यादि उत्तराखंड के सभ्यता संस्कृति 1 उत्तराखंड के रहन-सहन रहन-सहन   के मकान पक्के होते हैं। दीवारों पत्रों की होती है। पुराने घरों के ऊपर से पत्थर बिछाए जाते हैं। वर्तमान में लोकतंत्र का उपयोग करने लगते हैं। अधिकतर घरों में रात को रोटी तथा दिन में भात खाने के प्रचलन है। लगभग हर महीने कोई ना कोई त्योहार मनाया जातास्थानीय स्तर पर गाए जाने वाली देहात राजभर आदि दालों का प्रयोग होता है। प्राचीन समय में मधु आवाज मंगल स्थानी मोटा अनाज होता था। अब इनका उत्पादन बहुत कम हो गया। अब लोग बाजार से गेहूं चावल खरीदना है। फिर से के साथ पशुपालन लगभग सभी घरों में ह...

Civilization and Culture of Uttarakhand || उत्तराखंड के रीति रिवाज,

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उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳 की सभ्यता ,संस्कृति 🙏 से आपको जोड़ने की कोशिश 🙏🙏 उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से जोड़ी जानकारी कै लिए पेज को फोलो करें , जय देवभूमि जय उत्तराखंड जय हिन्द #उत्तराखंड का इतिहास ,  Devbhoomi Uttarakhand Culture of Uttarakhand and civilization of Uttarakhand.  The culture of Uttarakhand is in keeping with the climate and climate, or Uttarakhand is a hilly region and hence it is very cold here.  Therefore, all aspects of Uttarakhand's culture like living, costumes, folk art etc. revolve around the cold climate. 1 lifestyle,  2 festivals, 3 food,   4 costumes, farts. 5 folk arts,  folk dances,  6 languages ​​etc. civilization culture of Uttarakhand               Uttarakhand   lifestyle Living in Uttarakhand is a hill country.  It is very cold here.  This makes the houses of the people here firm.  The walls are of letters.  Stones are laid on ...

1000 साल पुराना मंदिर || बैजनाथ मंदिर बागेश्वर उत्तराखंड ||BEJNATH DHAM | HISTORY OF BEJNATH MANDIR

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via https://youtu.be/dfUwcbOOx6o

उत्तराखंड का लोक पर्व घी संक्राती || GHEE SANKRANTI || UTTARAKHAND CULTURE

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via https://youtu.be/UAw8jZ_EXug नमस्कार दोस्तों आज की वीडियो में हम जानेंगे। उत्तराखंड में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध पर्व जोहर भादो माह के एक तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व उत्तराखंड में विशेष तौर से मनाया जाता है। इसे घी संक्रांति के नाम से हम उत्तराखंड में जानते हैं। साथ में पूरे भारतवर्ष में घी संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन माना जाता है कि खाना अनिवार्य होता है। घी संक्रांति के दिन घी  नहीं खाता है वह  अगले जन्म में घेंघा (गनेल)  बन जाता है ऐसा कहा जाता है,और इसी दिन से फसलों में बाली आना भी सुरू हो जाता है, यह त्यौहार मुख्यतः पशुओं और प्रकृति को समर्पित है जो कि उत्तराखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है तो उसकी कुछ जानकारी आज की वीडियो मैंने आपको दी उम्मीद करता हूं। आपको वीडियो जरूर पसंद आएगी , जय देव भूमि जय उत्तराखंड जय हिन्द #pankaj_uttarakhand

स्वतंत्रता दिवस २०२० || देवभूमि उत्तराखंड के साथ || Happy Independence Day 2020

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via https://youtu.be/riZS9kzdKSs

kirshn bhajan || hath me muruli kamar mai cha rumal || krishna songs || Krishn KUMAUNI bhajan

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via https://youtu.be/baPrvVZJtXU

कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव 2020 || जानिये कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व || janmashtami 2020 ||

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via https://youtu.be/U9f7kPmsTzA

MAA BAARAHI MANDIR DEBIDHURA UTTARAKHAND || BAGWAL MELA || देवीधुरा || debidhura Mela ||बग्वाल मेला

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via https://youtu.be/13LEFrovH1A #बग्वाल #उत्तराखंड का राजकीय मेला..  #बग्वाल का अर्थ होता है , पत्थरों की बारिश या पत्थर युद्ध का अभ्यास। पत्थर युद्ध पहाड़ी योद्धाओं की एक विशिष्ट सामरिक प्रक्रिया रही है। महाभारत में इन्हे पाषाण योधि ,अशम युद्ध विराशद कहा गया है। जिस प्रकार वर्षाकाल की समाप्ति पर पर्वतों के राजपूत राजाओं द्वारा युद्धाभ्यास किया जाता था। ठीक उसी प्रकार छोटे -छोटे ठाकुरी शाशकों या मांडलिकों द्वारा भी वर्षाकाल की समाप्ति पर पत्थर युद्ध का अभ्यास किया जाता था जिसे बग्वाल कहा जाता था । कहा जाता है कि चंद राजाओं के काल में पाषाण युद्ध की परम्परा जीवित थी। उनके सेना में कुछ सैनिकों की ऐसी टुकड़ी भी होती थी ,जो दूर दूर तक मार करने में सिद्ध हस्त थी। बग्वाली पर्व के दिन इसका प्रदर्शन भी किया जाता था। कुमाऊं में पहले दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज को बग्वाल खेली जाती थी इसलिए इस पर्व को बग्वाली पर्व भी कहा जाता है। पत्थर युद्ध पर्वतीय क्षेत्रों की सुरक्षा का महत्वपूर्ण अंग हुवा करता था। इसका सशक्त उदाहरण कुमाऊं की बूढी देवी परम्परा है। कुमाऊं में पहले कई स्थानो में बग्वाल खे...

Natural Resources of Uttarakhand || उत्तराखंड से लुप्त हो रहे संसाधन ||Resources disappearing from Uttarakhand ||

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उत्तराखंड ��������की सभ्यता संस्कृति�� #pankajuttarakhand���� Follow devbhoomi uttarakhand group नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगों को उत्तराखंड से लुप्त हो रहे संसाधन उत्तराखंड में फ्री में मुफ्त में जो संसाधन मिले थे जो प्राकृतिक संसाधन थे। वह धीरे-धीरे लुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हीं के बारे में मैंने कुछ वीडियो आप लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। आप ऊपर जाकर वीडियो देखें। आप समझ पाएंगे कि किस तरह से हमारे संसाधन लुप्त होते जा रहे हैं और देव भूमि उत्तराखंड उम्मीद करता है। इन संसाधनों को बचाने में आप अपनी अहम भूमिका निभाएंगे और जितने भी लोगों को आप वीडियो पहुंचा सके। जितनी भी लोग इसके बारे में जान सकें। वह हमारे लिए सबसे बेहतर होगा तो जुड़े रहे देवभूमि उत्तराखंड के साथ को फॉलो जरूर कर लीजिए और लीजिए बाकी से जुड़ने के लिए आप मुझे फेसबुक टि्वटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। #PANKAJUTTARAKHAND

RAM MANDIR in AYODHYA || PM MODI performed BHOOME PUJAN || pm मोदी भूमि पूजन अयोध्या राम मंदिर ||

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via https://youtu.be/fynFJ-7Ru-4

रक्षाबंधन || importance of raksha bandhan || RAKHI || भाई बहन का प्यार ...

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उत्तराखंड ��������की सभ्यता संस्कृति�� #pankajuttarakhand���� Follow devbhoomi uttarakhand group राखी का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बातें हुए लंबी उम्र की कामना करते हैं भाई अपनी बहन के पवित्र और कुछ रिश्ते को दर्शाता है भाई अपनी बहन को वचन देता है कि हर दुख सुख में वह अपनी बहन के साथ रहेगा और उसकी रक्षा करेगा ! आइए जानते हैं राखी के बारे में कुछ पौराणिक कथाएं। जब राजा बने अश्वमेध याग कर रहे थे उस समय भगवान विष्णु राजा बलि को चलने के लिए वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग धरती दान में माहिर आजा बबली ने सोचा कि यह प्रवृत्ति पर मैं कितनी धरती नाम लेगा। उन्होंने हां कर दी लेकिन देखते ही देखते वामन रूप धारण किए। विष्णु जी का आकार बढ़ता गया और तीन पग में उन्होंने सब कुछ नाम लिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दिया। कहा जाता है कि राजा बलि ने पाताल लोक में रहना स्वीकार कर लिया, परंतु दानवीर परी ने कहा कि मुझे आपसे एक वचन चाहिए। मैं जो भी मांगो आपको देना होगा। भगवान विष्णु ने तीन बार क...

RAKSHABANDAN 2020 || रक्षाबंधन का महत्व || BHABI- BEHAN AUR RAKSHA BANDAN || happy RAKSHA bandan ||

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via https://youtu.be/PkXJrfhqotE