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16 sanskar || हिन्दू धर्म के प्रमुख संस्कार

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via https://youtu.be/JEk6Si_urZE

उत्तराखंड का धार्मिक जीवन || religious life in uttarakhand ||

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via https://youtu.be/wki5AIz20lI

उत्तराखंड की कला और संस्कृति ||Art and Culture of Uttarakhand || folk art of uttarakhand

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via https://youtu.be/FNYiOvseuBU Devbhoomi india  मूर्तिकला  उत्तराखंड की संस्कृति और इतिहास   उत्तराखण्ड के मंदिरों में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तराखण्ड में मूर्ति कला किसी समय अपने उत्कर्ष पर रही होगी । अधिकांश प्राप्त मूर्तियाँ शिव , विष्णु , हर गौरी , पार्वती , गणेश , नंदा , कार्तिकेय , काली , दुर्गा , गरुड़ आदि की हैं । मूर्तियाँ अधिकांशतया जागेश्वर , उखीमठ , कालीमठ , बद्रीनाथ , गोपेश्वर , जोशीमठ , अल्मोड़ा , द्वाराहाट आदि स्थलों पर दृष्टिगत होती हैं । बहुत सी मूर्तियाँ 8 वीं से 12 वीं सदी के मध्य निर्मित की गयी हैं । मूर्तियाँ में प्राप्त हुई हैं । टूटी - फूटी अवस्था आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर दिया इन्हें 19 वीं सदी में रोहिला था ।  चित्रकला उत्तराखंड की कला और संस्कृति  चित्रकला रूप से प्रोत्साहन गढ़वाल के पंवार वंशी राजाओं ने चित्रकला को विशेष दिया । सुलेमान शिकोह के साथ श्यामदास और केहरदास नाम के चित्रकार श्रीनगर में आये थे । उन्होंने श्रीनगर में चित्रकला का प्रचार किया । उनके बाद मंगतराम और मौलाराम ने का निर्माण क

ranikhet almora Uttarakhand || रानीखेत उत्तराखंड

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via https://youtu.be/Hm5mGYwFk1s

पुलवामा के वीर सपूतों को नमन २०२२ || भारत के वीर

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via https://youtu.be/Y0gxV9nXBtE

कैप्टन विक्रम बत्रा || परमवीर चक्र विजेता || भारत के वीर

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन विक्रम बत्रा कैप्टन विक्रम बत्रा 1999 (कारगिल) कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को पालमपुर में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही देशभक्‍त‍ि की कहानियां सुनीं और स्कूल के समय सेना के अनुशासन को देखा जिसका असर उनके मन-मस्तिष्क पर भी रहा। उन्होंने हांगकांग की मर्चेंट नेवी की नौकरी को ठुकराकर अपने देश के लिए सेवा देने को महत्व दिया और 1996 में सीडीएस के जरिए उन्होंने भारतीय सेना अकादमी, देहरादून में प्रवेश लिया और 1997 में 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर वे नियुक्त हुए। उन्होंने सैनिक जीवन में कमांडो ट्रेनिंग के साथ और भी प्रशिक्षण लिए। 1999 में हुए कारगिल युद्ध में उनकी टुकड़ी को भेजा गया और हम्प व राकी नाब जीतने के बाद उन्हें कैप्टन बना दिया गया। श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर 5140 पर एक महत्वपूर्ण चोटी को जीतने के बाद उन्हें 'शेरशाह' व 'कारगिल का शेर' जैसी संज्ञाएं भी दी ग

कैप्टन मनोज कुमार पांडेय || परमवीर चक्र

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लोगों के लिए होंगे valentine'sday, हमारे लिए हमारे वीर जवान है, देवभूमि इन 7 दिनों में परमवीर चक्र विजेताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है, जो आप सभी को पता होनी चाहिए कैप्टन मनोज कुमार पांडेय 1999 (कारगिल)  कैप्टन मनोज कुमार पांडेय कैप्टन मनोज कुमार पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को उत्तरप्रदेश के रूधा गांव (सीतापुर) में हुआ था। इंटरमीडियट की पढ़ाई के बाद मनोज कुमार नेशनल डिफेंस एकेडमी, पुणे में दाखिल हुए और ट्रेनिंग पूरी कर वे 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंट की पहली बटालियन में बतौर कमीशंड ऑफिसर शामिल हुए। जब उनकी बटालियन को सियाचिन में तैनात होना था, तब उन्होंने खुद अपने अधिकारी को पत्र लिखकर सबसे कठिन दो चौकियों बाना चौकी या पहलवान चौकी में से एक दिए जाने की मांग की और बाद में लंबे समय तक 19 हजार 700 फुट की ऊंचाई पर पहलवान चौकी पर जोश और बहादुरी के साथ वे डटे रहे, Devbhoomi India 1999 के निर्णायक युद्ध में उनकी बटालियन ने खलूबार को फतह करने की जिम्मेदारी ली और दुश्मन के हर वार का सामना कर और दुश्मन सैनिकों की लाशें बिछाते हुए आखिरकार खलूबार को फतह किया। हालांकि इस फतह की लड़ाई