गंगा दशहरा 2020 || गंगा दशहरा महत्व || pankaj uttarakhand
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उत्तराखंड में गंगा दशहरा
गंगा दशहरा 2020।
गंगा दशहरा के पर्व पर घरों में गंगा दशहरा द्वारा पात्र लगाने को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस द्वार पत्र को लगाने से घर में विनाशकारी सत्या प्रवेश नहीं करती और प्रजापति बिजली गिरने जैसी घटनाओं से बचाव होता है। इसके साथ घर में नकारात्मक ऊर्जा में प्रवेश को भी द्वार पत्र रोकता है तथा घर में सुख समृद्धि और बनी रहती है। उत्तराखंड में यह परंपरा प्रमुख रूप से प्रचलित है। गंगा दशहरा द्वारा।पत्र ऐसा होता है क्या करने में इस पत्र को घर के मुख्य दरवाजे पर लगाने की परंपरा इस तत्व को विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। भोजपत्र से या फिर श्वेत पत्र से मात्र मंत्रों पर लिखकर दरवाजे पर चिपकाया जाता है। यह मंत्र वर्ग कार होना चाहिए। इस मंत्र इस पत्र पर भगवान शिव गणेश दुर्गा सरस्वती गंगा आरती के रंगीन चित्र बनाकर उनके चारों तरफ एक ही वितरित वितरित कमाल दलों की आकृति बनाई जाती है। लाल पीले और हरे रंग का प्रयोग किया जाता है। द्वारकेश लोग गंगा दशहरा द्वारा पात्र में सिद्धि पत्र माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार पत्र के अंदर रंगों का प्रयोग किया जाता है। बहार पर तरफ निवारक पक्षियों के नाम से श्लोक लिखे जाते
गंगा दशहरा के दिन पत्र को स्थापित किया जाता है। यह पत्र गंगा दशहरा के दिन दरवाजे पर स्थापित किया जाता है।
उत्तराखंड में गंगा दशहरा
गंगा का उद्गम स्थान गोमूत्र ई इस दिन उत्तराखंड में घरों के दरवाजे पर दशहरा द्वार पत्र लगाने की परंपरा इस पत्र को स्थापित करने के लिए दान देना शुभ माना जाता है। गंगा जी धरती पर "जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ था। इससे गंगा दशहरे के नाम से मान लिया जाता है। इस वर्ष यह पर्व साथ महायोग से बनाया जाता है। सोमवार को दशमी तिथि तक रहेगी। ज्योति ने बताया कि धर्म सीटों व प्रामाणिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार गंगावतरण के समय जेष्ठ मास, शुक्ल पक्ष दशमी, तिथि बुधवार हस्त नक्षत्र व्यतिपात योग यज्ञ करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा, वृषभ राशि का 10किसी पर गागा अग्नि भय नहीं रहता। ओम गंगे नमः का जाप करते हुए गंगाजल की पूरे डाल ले पाने को प्रात काल स्नान करे।
गंगा दशहरा महत्व
पौराणिक कथाओं में वर्णन की महाराजा भागीरथी का अखंड तप से प्रसन्न होकर जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई, वह बहुत ही दिव्य और पवित्र दिन था। यह दिन जेष्ठ मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तथा पृथ्वी पर मां गंगा का अवतरण दिवस वह गंगा दशहरा मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से मनुष्य को क्या करने के बराबर पुण्य प्राप्त होते हैं। इसलिए स्थान मनुष्य को पवित्र मंत्र के साथ है। गंगा स्नान करना चाहिए। इस दौरान मां गंगा और भगवान शिव का स्मरण भी बहुत से लोग करते|
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