हर की पौड़ी हरिद्वार उत्तराखंड || जय मां गंगा
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हरिद्वार, जिसे "गंगा का द्वार" भी कहा जाता है, भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्राचीन और पवित्र शहर है। यह स्थान हिंदू धर्म के अनुसार सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। हरिद्वार का उल्लेख पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है, और इसे "मायापुरी", "गंगाद्वार" और "कपिलस्थान" के नामों से भी जाना जाता है।
हरिद्वार का धार्मिक महत्व:
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हरिद्वार को चार धाम यात्रा और कुंभ मेले का प्रमुख स्थल माना जाता है। यह स्थान वह जगह है जहाँ गंगा नदी हिमालय से निकलकर मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करती है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है।
पौराणिक कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ भगवान विष्णु ने कदम रखा था, और उनके पदचिन्ह "हर की पौड़ी" पर स्थित हैं। यह भी माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में गिरी थीं, जिसके कारण यहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
हरिद्वार का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। यहाँ से कई राजवंशों ने शासन किया, जैसे मौर्य, कुषाण और गुप्त। मध्यकाल में यह क्षेत्र सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन गया। मुगल काल में हरिद्वार को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता था।
प्रमुख स्थल:
हर की पौड़ी: यह सबसे पवित्र घाट है, जहाँ गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
मनसा देवी मंदिर: यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है और यहाँ मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
चंडी देवी मंदिर: यह मंदिर नील पर्वत पर स्थित है और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
भारत माता मंदिर: यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित है।
आधुनिक हरिद्वार:
आज हरिद्वार न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि योग और आयुर्वेद का भी केंद्र बन चुका है। यहाँ पतंजलि योगपीठ जैसे संस्थान योग और आयुर्वेद को बढ़ावा दे रहे हैं।
हरिद्वार अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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