ब्रह्मचारिणी माता की कथा ||दुसरे नवरात्र की पौराणिक कथा || Navratri 2th day devi
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ब्रह्मचारिणी माता माँ दुर्गा के नौ रूपों में से दूसरे स्वरूप को कहा जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। "ब्रह्म" का अर्थ है तपस्या या ज्ञान, और "चारिणी" का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य है वह देवी जो कठोर तपस्या और संयम का पालन करती हैं।
माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांत और दिव्य होता है। वे सफेद वस्त्र धारण किए रहती हैं और उनके हाथों में एक हाथ में जपमाला और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है। उनकी पूजा से भक्तों को तप, संयम, साधना और ज्ञान की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी की आराधना से साधक को उसकी साधनाओं में सफलता और संयम प्राप्त होता है, जिससे वह हर कठिनाई का सामना कर पाता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा के अनुसार, उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनके इस कठिन तप से ही उनका नाम "ब्रह्मचारिणी" पड़ा।
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