गोलू देवता कोन है ? || STORY OF GOLU DEVTA || GOD'S OF UTTARAKHAND || उत्तराखंड के देवी देवता
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Golu devta |
गोलू देवता भारत के उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पूजनीय देवता हैं। न्याय के देवता के रूप में जाने जाने वाले गोलू देवता अपने भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं और ईमानदारी से न्याय मांगने वालों को न्याय दिलाते हैं। गोलू देवता की कथा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व से भरपूर है, जो कुमाऊं के लोगों की परंपराओं में गहराई से निहित है।
गोलू देवता की कथा
**उत्पत्ति:**
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उत्तराखंड के देवी देवता |
गोलू देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और वे चंपावत के लोक नायक, जनरल कल्याण सिंह से भी जुड़े हैं, जिन्होंने कुमाऊं के चंद वंश की सेवा की थी। लोकप्रिय लोककथा के अनुसार, कल्याण सिंह एक बहादुर और न्यायप्रिय जनरल थे, जिन्हें महल की साज़िशों के कारण गलत तरीके से मार दिया गया था। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी आत्मा को देवता माना गया और गोलू देवता के रूप में उनकी पूजा की जाने लगी।
**चमत्कार और न्याय:**
भक्तों का मानना है कि गोलू देवता अपने अनुयायियों की शिकायतें सुनते हैं और त्वरित न्याय प्रदान करते हैं। इस मान्यता के कारण देवता को पत्र लिखने की प्रथा शुरू हुई, जिसमें अपनी समस्याओं या अन्याय का विवरण दिया जाता है। इन पत्रों को मंदिर की घंटियों से बांधा जाता है या मंदिर परिसर में छोड़ दिया जाता है। गोलू देवता को समर्पित मंदिरों के चारों ओर विभिन्न आकारों की कई घंटियाँ लटकी हुई देखना आम बात है, जो भक्तों की प्रार्थनाओं के उत्तर और पूरी हुई इच्छाओं का प्रतीक हैं।
**मंदिर:**
गोलू देवता को समर्पित सबसे प्रसिद्ध मंदिर चितई (अल्मोड़ा के पास) और घोड़ाखाल (नैनीताल के पास) में स्थित हैं। ये मंदिर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते हैं जो देवता का आशीर्वाद और न्याय पाने के लिए आते हैं। चितई में स्थित मंदिर विशेष रूप से अपने परिसर को सुशोभित करने वाली हजारों घंटियों के लिए जाना जाता है, जिनमें से प्रत्येक देवता द्वारा सुनी गई प्रार्थना का प्रतिनिधित्व करती है।
**अनुष्ठान:**
भक्त अक्सर गोलू देवता को घंटियाँ, सफेद कपड़ा और मोमबत्तियाँ चढ़ाते हैं। देवता को स्थानीय संगीत, नृत्य और त्यौहारों के दौरान मेलों के माध्यम से भी सम्मानित किया जाता है, जो कुमाऊं के लोगों और उनके न्याय के प्रिय देवता के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध को दर्शाता है।
गोलू देवता की कहानी ऐतिहासिक शख्सियतों के साथ दैवीय श्रद्धा के सम्मिश्रण को उजागर करती है, जो दर्शाती है कि कैसे स्थानीय लोककथाएँ और आध्यात्मिकता उत्तराखंड के सांस्कृतिक ताने-बाने में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
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