बज्यैण देवता मंदिर उत्तराखंड || History of Shikhar bhanar mandir || Shikhar bhanar uttarakhand


via https://youtu.be/MfEqS1Hc5Dk

यूं तो उत्तराखंड की धरती पर तमाम पौराणिक और बड़ी आस्था के देवालय हैं, लेकिन यहां के कुछ मंदिरों के साथ लोगों की गहरी आस्था आज भी जुड़ी है। ऐसे ही पवित्र स्थानों में दो नाम हैं कपकोट के शिखर और भनार मंदिर। शिखर मंदिर में भगवान मूलनारायण और भनार में बजैंण देवता की पूजा होती है। शिखर से हिम श्रंखलाओं का सुंदर नजारा है


शिखर भनार मंदिर  कहा है


बागेश्वर से करीब 60 किमी दूर भनार गांव के चोटी में स्थित श्री 1008 मूलनारायण देवता का भव्य एवं आकर्षक मंदिर है। मूलनारायण मंदिर, बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में आता है और आसपास के लोगों के लिए अपार श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर में नवरात्र में नवमी की रात को मेला लगता हैं यहाँ लोग झोड़ा, चाचरी के साथ मेले का खूब आनन्द लेते है। इस मंदिर में कई गांवों के डंगरिए अवतरित होकर आते है। यहां आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाते कहा जाता है डंगरिए जब अवतरित होकर फल फैकतें है, जिसके पास यह फल जाता है उसकी मन्न्त पूरी होती है। शिखर मूलनारायण मंदिर की ऊंचाई समुद्रसतल से लगभग 9124 फिट तथा 2700 मीटर है। यहां हर वर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है।

लोगो की मान्यता
Temple's of Uttarakhand 


यहां के लोगो की मान्यता है। कि फसल का पहला अनाज (सीक) के रूप में श्री 1008 मूलनारायण देवता को चढ़ाया जाता है।
यहां के पंडित जी का कहना है। कि यह मंदिर पहले छोटा सा था, बाद में इसे बद्रीनारायण दास जी ने बनवाया, उनका कहना है कि पहले इस मंदिर के बारे में लोगों पता नहीं था।

शिखर भनार केसे पहुचने

भनार– जहां पर भगवान बंजैण जी का मंदिर है। यह मंदिर भी एक भव्य बांज के पड़ो के बीच घिरा हुआ है। यह मंदिर शिखर जाने के रास्ते में पड़ता है।

सनगाड़– शिखर पहुचने के लिए दूसरा रास्ता जो रीमा से है। रीमा से सनगाड़ 4 किलोमीटर की दूरी पर है सनगाड़ में नौलिंग भगवान का भव्य मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालु दूर-दूर से आते है। यहां नवरात्र में नवमी के दिन मेला भी लगता हैं। जिसमे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है

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