चामुंडा माता मंदिर कहां है|| chamunda devi temple Himachal Pradesh || chamunda mata mandir Kangra Himachal Pradesh


via https://youtu.be/a6mbP8M8-dc

चामुण्डा देवी मंदिर



चामुण्डा देवी मंदिर शक्ति के 51 शक्ति पीठो में से एक है। ये मंदिर हिन्दू देवी चामुंडा, जिनका दूसरा नाम देवी दुर्गा भी है, को समर्पित है। चामुंडा देवी हिन्दू धर्म में मां काली का रूप मानी गई हैं। पराशक्तियों की साधना करने वालों की यह देवी आराध्य हैं। यहां पर आकर श्रद्धालु अपने भावना के पुष्प मां चामुण्डा देवी के चरणों में अर्पित करते हैं। मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। देश के कोने-कोने से भक्त यहां पर आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के चंबा जिले में स्थित एक प्रचीन मंदिर और एक प्रमुख आकर्षक स्थल है। चामुंडा देवी मंदिर का निर्माण वर्ष 1762 में उमेद सिंह ने करवाया था। पाटीदार और लाहला के जंगल में बानेर नदी के तट पर स्थित यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना हुआ है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी के रूप में जाना जाता है। पहले इस जगह पर सिर्फ पत्थर के रास्ते कटे हुए थे, लेकिन अब इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको 400 सीढ़ियों को चढ़कर जाना होगा। एक अन्य विकल्प के तौर पर आप चंबा से 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

चामुंडा देवी मंदिर करीब सात सौ साल पुराना है जिसके पीछे की तरफ से गुफा जैसी संरचना है जिसको भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के रूप में भी जाना जाता है जिसमें भगवान शिव और शक्ति का घर है। भगवान हनुमान और भैरव इस मंदिर के सामने वाले द्वार की रक्षा करते हैं और इन्हें देवी का रक्षक माना जाता है।


चामुण्डा माता इतिहास


हजारों साल पहले धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दैत्यो ने राज कर लिया था। उन्होंने धरती पर इतने अत्याचार किये कि इससे परेशान होकर देवताओं व मनुष्यो ने शक्तिशाली देवी दुर्गा की आराधना की तो देवी दुर्गा ने कहा की वो जरुर उनकी इन दैत्यों से रक्षा करेंगी। इसके बाद दुर्गा जी ने कौशिकी के नाम से अवतार लिया इसके बाद शुम्भ और निशुम्भ के दूतो ने माता कौशिकी को देख लिया। दोनों ने शुम्भ और निशुम्भ से कहा कि आप तो तीनों लोगों के राजा है, आपके पास सब कुछ है लेकिन आपके पास एक सुंदर रानी भी होना चाहिए जो सारे संसार में सबसे सुंदर है। दूतों की इन बातों को सुनकर शुम्भ और निशुम्भ ने अपना एक दूत माता कौशिकी के पास भेजा और कहा कि कौशिकी से कहना कि शुम्भ और निशुम्भ तीनों लोको के राजा हैं और वो तुम्हे रानी बनाना चाहते हैं।

शुम्भ और निशुम्भ के कहने पर दूत ने ऐसा ही किया। कौशिकी ने दूत की बात सुनकर यह कहा कि में जानती हूँ कि वो दोनों बहुत शक्तिशाली हैं, लेकिन में प्रण ले चुकीं हूँ कि जो मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करुँगी। जब यह बात दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को जाकर बताई तो उन्होंने दो दूत चण्ड और मुण्ड को देवी के पास भेजा और कहा कि उसके केश पकड़ कर हमारे पास लाओ। जब चण्ड और मुण्ड ने वहां जाकर देवी कौशिकी से साथ चलने को कहा तो उन्होंने क्रोधित होकर अपना काली रूप धारण कर लिया और आसुरो को मार दिया।

 इन दोनों राक्षसों के सर काटकर देवी चामुंडा(काली) कोशिकी के पास लेकर आ गई जिससे खुश होकर देवी कोशिकी ने कहा कि तुमने इन दो राक्षसों को मारा है अब तुम्हारी प्रसिद्धी चामुंडा के नाम से पूरे संसार में होगी।



मन्दिर का इतिहास


चामुंडा देवी मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर के इतिहास को लेकर भी एक कहानी बताई जाती है। 400 साल पहले राजा और पुजारी ने जब मंदिर का स्थान एक सही जगह पर परिवर्तित करने की अनुमति मांगी थी तो देवी ने पुजारी को सपने में दर्शन किये और उन्होंने मंदिर को स्थानांतरित करने की अनुमति देते हुए एक निश्चित स्थान पर खुदाई करने का आदेश दिया। जब उस जगह पर खुदाई की गई तो वहां पर एक चामुंडा देवी की मूर्ति पाई गई जिसके बाद चामुंडा देवी की मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया गया और उसकी पूजा की जाने लगी।
जब राजा ने मूर्ति को बाहर लाने के लिए अपने लोगों को कहा तो लाख कोशिश के बाद भी वो उस मूर्ति को हिलाने में सक्षम नहीं हुए। इसे बाद एक बार देवी ने पुजारी को सपने में दर्शन किये और उन्होंने कहा वो सभी लोग मूर्ति को साधारण समझ कर उठाने की कोशिश कर रहे हैं। देवी ने पुजारी से कहा कि वे सुबह नहाकर पवित्र कपड़े पहन कर सम्मानजनक तरीके से मूर्ति को बाहर लायें, जो काम सारे लोग मिल कर नहीं कर पा रहे वो अकेला आदमी आसानी से कर सकेगा। जब पुजारी ने यह बात सभी लोगों को बताया कि यह देवी माँ की शक्ति थी कि वो मूर्ति को हिला तक नहीं पा रहे थे।
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