भिटौली || Uttarakhand festivals bhitauli || Bhitauli- A heartwarming tradition devoted to Uttarakhand
via https://youtu.be/Urdvj2HoTeI
Bhitauli Festiva
उत्तराखंड को अपनी लोक संस्कृति तथा त्योहारों के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड में समय समय पर या ऋतुओं के आगमन या जाने पर अनेक लोक पर्व मनाए जाते है, जैसे बसंत पंचमी, फुल्देई, घूघतिया, संक्रांति, जैसे अनेक पर्व मनाए जाते है , उन्हीं में से एक लोक संस्कृति पर आधारित पर्व है भिटोली या भीटोई (Bhitauli festival) यह त्योहार चेत्र मास में मनाया जाता है। यह पर्व कुमाऊं तथा गढ़वाल दोनों जगह मनाया जाता है।
भिटौली त्योहार |
भिटौली" का सामान्य अर्थ - "भेंट या मुलाकात करना" होता है। यह एक भावनात्मक परंपरा है। जिसमें विवाहित लड़की के मायके वाले में से भाई, माता-पिता या अन्य परिजन उससे मिलने उसके ससुराल जाते हैं। साथ में, वे फल, वस्त्र व मिठाईयाँ आदि लेकर भी जाते हैं
उत्तराखंड में भिटोली के साथ अनेक दंतकथाएं जुड़ी हुई है साथ ही भिट्टोली के साथ अनेक लोक गीत भी जुड़े हुए है। पहाड़ में चेत्र के महीने गाया जाने वाला लोकगीत “भै भुखो मै सीती” एक दंतकथा के साथ भी जुड़ा हुआ है। इस कथा के अनुसार एक बार एक लड़की के मायके से भिटौली आते हुए देर हो गई वह पहले बिना सोए भिटॉलि ला रहे भाई का इंतेज़ार करती रही लेकिन जब देर हो गई तो भाई का इंतेज़ार करते करते उसकी आंख लग गई और वो गहरी नींद में सो गई। इसी दौरान उसका भाई वहा आ पहुंचा लेकिन बहन को सोता हुआ देख उसे लगा कि उसकी बहन बहुत सारे काम के बोझ के कारण थक के सो गई है और उसे जगाना ठीक नहीं है। उसने भीटौली (Bhitoli) बहन के पास रख दी।
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अगले दिन शनिवार होने की वजह दे परम्परा के अनुसार वह अपने बहन के ससुराल में नहीं रुक सकता था और रात तक उसे घर भी पहुंचना था इसलिए उसने तड़के में ही बहन के पैर छुए और अपने घर के लिए रवाना हो गया।जब लड़की की नींद खुली और अपने सामने भीटोली रखी हुए देख उसे पता चला कि उसका भाई आया था और मुझे सोता हुए देख वह बिना कुछ खाए पिए ही वापस लोट गया।वह सोचती रही कि भाई इतनी दूर से आया था और मेरे सीने की वजह से वो बिना कुछ खिलाए वह वापस चला गया। सोच सोच कर वह इतनी दुखी हुई की “भै भूखो मै सीती” यानी भाई भूखा रहा और मै सोती रही बोलते बोलते उसने अपने प्राण त्याग दिए।
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