जिया रानी मेला 2021 || उत्तराखण्ड उत्तरायणि मेला ||Uttarayani Fair Ranibagh || jiya rani temples
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दोस्तों आज की इस वीडियो में हम देख रहे हैं। उत्तराखंड में मनाए जाने वाला मकर संक्रांति का मेला रानीबाग हल्द्वानी में आयोजित किया जाता है। उसकी क्या क्या विशेषता है वहां और कौन-कौन से आप मंदिर यहां पर मिलेंगे। आपको देखने को उसकी जानकारी में आज की वीडियो में आप लोगों को दे रहा हूं। यहां पर शनिदेव का मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित मंदिर शीतला देवी की गुफाएं और साथ में शीतला देवी नाम से एक घागरा प्रसिद्ध है , तो आईये जानते हैं
जिया रानी
जिया रानी का वास्तविक नाम मौला देवी था, जो हरिद्वार (मायापुर) के राजा अमरदेव पुंडीर की पुत्री थी। सन 1192 में देश में तुर्कों का शासन स्थापित हो गया था, मगर उसके बाद भी किसी तरह दो शताब्दी तक हरिद्वार में पुंडीर राज्य बना रहा। मौला देवी, राजा प्रीतमपाल की दूसरी रानी थी। मौला रानी से 3 पुत्र धामदेव, दुला, ब्रह्मदेव हुए, जिनमें ब्रह्मदेव को कुछ लोग प्रीतम देव की पहली पत्नी से जन्मा मानते हैं। मौला देवी को राजमाता का दर्जा मिला और उस क्षेत्र में माता को ‘जिया’ कहा जाता था इस लिए उनका नाम जिया रानी पड़ गया।
पुंडीर राज्य के बाद भी यहाँ पर तुर्कों और मुगलों के हमले लगातार जारी रहे और न सिर्फ हरिद्वार बल्कि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ में भी तुर्कों के हमले होने लगे। ऐसे ही एक हमले में कुमाऊँ (पिथौरागढ़) के कत्यूरी राजा प्रीतम देव ने हरिद्वार के राजा अमरदेव पुंडीर की सहायता के लिए अपने भतीजे ब्रह्मदेव को सेना के साथ सहायता के लिए भेजा जिसके बाद राजा अमरदेव पुंडीर ने अपनी पुत्री मौला देवी (रानी जिया) का विवाह कुमाऊँ के कत्यूरी राजवंश के राजा प्रीतमदेव उर्फ़ पृथ्वीपाल से कर दिया।
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