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लाटू देवता सुमिरन || Latu devta Jager puja || Uttarakhand Jager puja|| जागर पूजा ||uttarakhandpankaj

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via https://youtu.be/MyDAyAgDjR0

जागर पूजा उत्तराखंड

उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳की सभ्यता संस्कृति🙏 #pankajdevbhoomi🙏🙏 नमस्कार दोस्तों आज किस पोस्ट में हम जानेंगे। उत्तराखंड के प्रसिद्ध जागर पूजा उत्तराखंड में आयोजित की जाती है। वह किस रूप में लगती है, किस तरह से उसकी पूजा पद्धति है। इसके बारे में आप लोगों को आज की पोस्ट में जानकारी मिलेगी। सबसे पहले दोस्तों में जानते हैं कि   जागर क्या हो ? उत्तराखंड में जाकर पद्धति के बारे में बात करें तो उसके बारे में आप लोगों को यह बता दु कि जागर दो प्रकार की होती है। एक भीतेरी जागर और बाहरी जागर ,  जिसमें दिव्य शक्ति का समावेश किसी व्यक्ति पर मंत्रों द्वारा होना जागर का कहलाती है, उत्तराखंड के कुल देवताओं की जागर की पूजा की जाती है। लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर या फिर किसी और कामना के लिए जागर पूजा करते हैं, दिनों तक लगती है जागर जागर एक या 2 दिन ,या फिर 22 दिनों तक लगती है जिसे बायसी जागर कहा साथ ही जाकर के महत्वपूर्ण अंग हैं जगरिया  ड़गरीया, चुनी,गो मुत, गंगा जल,हुडुका, थाली आदि, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से यह परंपरा उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों की ओर बढ़ रही है क्योंकि लोग धीरे-धीरे उत्तराखं

म्यर पहाड़ ||Hit Myar pahad || हिट म्यर पहाड़ उत्तराखंड | pankaj uttarakhand

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भैरव देवता जागर || bhairav devta uttarakhand || BHAIRAV DEVTA JAGER || JAGER PUJA UTTARAKHAND

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via https://youtu.be/12L-DdkbOj8

गंगनाथ देवता जागर || || kumauni Jager || जागर kumauni || bhana gangnath Jager ||

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via https://youtu.be/Z0GiH2Kc8SY

ग्वेल देवता जागर|| कुमाऊनी जागर ग्वेल देवता ||golu devta Jager |कुमाऊनी जागर |Jager puja uttarakhand

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via https://youtu.be/KOq-Cw2_ECM

चन्द्र सिंह गढ़वाली जीवनी || बेड़ियों को “मर्दों का जेवर” कहा करते थे || uttarakhand pankaj

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उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳की सभ्यता संस्कृति🙏 #pankajdevbhoomi🙏🙏    उत्तराखण्ड हमेशा से वीरों की भूमि रहा है, इस धरती ने इन्हीं वीरों में से कुछ परमवीर भी पैदा किये। जिनमें चन्द्र सिंह गढ़वाली का नाम सर्वोपरि कहा जा सकता है। उन्होंने २३ अप्रैल, १९३० को अफगानिस्तान के निहत्थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर गोली चलाने से इन्कार कर एक नई क्रान्ति का सूत्रपात किया था और अंग्रेजी हुकूमत को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत में उनके राज के कुछ ही दिन बचे हैं। हालांकि इस अजर-अमर विभूति की एक कमजोरी थी कि वह एक पहाड़ी था, जो टूट जाना पसन्द करते हैं लेकिन झुकना नहीं। चन्द्र सिह जी भी कभी राजनीतिज्ञों के आगे नहीं झुके, जिसका प्रतिफल यह हुआ कि स्वतंत्रता संग्राम के इस जीवट सिपाही को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी जेल जाना पड़ा और कई अपमान झेलने पड़े। इनकी जीवटता को कभी भी वह सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वे हकदार थे। उनके अंतिम दिन काफी कष्टों में बीते, जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर लोग मलाई चाट रहे थे, वहीं गढ़वाली जी अपने साथियों की पेंशन के लिये संघर्ष कर रहे थे। इस अमर सेनानी को हमारा सलाम,