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बसंत पंचमी || basant Panchami 2020 || #hindu festival

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uttrakhand history parmote in uttrakhand...   Uttarakhand devbhoomi Uttarakhand devbhoomi  बसंत पंचमी.  बसंत पंचमी.  बसंत पंचमी का उत्सव न सिर्फ भारत में बल्कि भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल में काफी उत्साह से मनाया जाता है। माघ माहीने के पांचवे दिन बसंत पंचमी पड़ती है और इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है। हालांकि इस दिन मुख्य रुप से मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामदेव और इनकी पत्नी रति धरती पर आते हैं और प्रकृति में प्रेम रस का संचार करते हैं इसलिए बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के साथ कामदेव और रति की पूजा का भी विधान है। Devbhoomi Uttarakhand   शास्त्रों में पूर्वाह्न से पूर्व सरस्वती पूजन करने का नियम बताया गया है।पौराणिक मान्यता के अनुसार, सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की है। लेकिन सृष्टि की तरफ जब ब्रह्मा जी देखते हैं तो उस समय ब्रह्मा जी को चारों तरफ सुनसान और शांत माहौल नजर आता है। इसलिये उन्हें महसूस होता है Basant Panchami   कि, कोई कुछ बोल नहीं रहा

basant Panchami || basant panchami importance

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via https://youtu.be/YT0il0Kk0UY बसंत पंचमी विशेष सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:। वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च ।। सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।' आप सभी धर्म प्रेमियों को सादर प्रणाम आपको अवगत कराना चाहूंगा दिनांक 5 फरवरी 2022 शनिवार को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है इस बार बसंत पंचमी पर्व पर त्रिवेणी योग बन रहे हैं ( *सिद्धि योग, साध्य योग और रवियोग का संगम का संगम होने जा रहा है*) इस युग में शिक्षा से संबंधित कोई भी कार्य विद्यारंभ के लिए अति शुभ दिन रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी इसलिए बसंत पंचमी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है और बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान प्राप्ति होती है। साथ ही बसंत पंचमी के दिन बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है।    बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के के दिन अबूझ मुहूर्त होता

सुभाष चंद्र बोस ||शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897 ||

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Devbhoomi Uttarakhand  uttrakhand history parmote in uttrakhand...jai hind.....jai bharat YouTube video  सुभाष चंद्र बोस सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था. जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील थे. कटक में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लिया. जिसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. 1919 में बीए की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की, यूनिवर्सिटी में उन्हें दूसरा स्थान मिला था.  उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाष आईसीएस बनें. उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की. 1920 की आईसीएस परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था. 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया. सुभाष चंद्र बोस की पहली मुलाकात गांधी जी से 20 जुलाई 1921 को हुई थी. गांधी जी की सलाह पर वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने लगे. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्

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uttrakhand history parmote in uttrakhand... Welcome to utrayni mela bageshwar uttarakhand, uttarakhand festival makar sangranti  मकर संक्रांति कहां कहां और किस किस रूप में मनाई जाती  है।साथ ही दोस्तों आपको यह भी बताते चलो कि उत्तराखंड में बहुत धूमधाम से मकर संक्रांति का यह त्यौहार मनाया जाता है और बागेश्वर बागनाथ मंदिर में स्थित यहां उत्तरायणी मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। दर्शन करने और मेले का आनंद लेने उम्मीद करता हूं दी गई वीडियो में जानकारी में आप समझ पाए होंगे कि किस तरह मकर संक्रांति का त्यौहार पूरा उत्तराखंड में मनाया जाता है और अधिक जानकारी के लिए दोस्तों आप ब्लॉगर पर से जुड़ सकते हैं मेरे से उसका लिंक मैंने नीचे दिया हुआ है। उत्तरायणी मेले की एक झलक दिखा रहा हूं।  बागेश्वर में स्थित उत्तरायणी मेला बागेश्वर में बहुत प्रसिद्ध मेला है ,उत्तरायणी मेला उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला है ,उत्तरायणी मेले में पुरे भारत से लोग आते हैं,उत्तरायणी बागनाथ मंदिर के पास लगता है इस वीडियो में हम देख रहे हैं।   उत्तराखंड में मनाए जाने वाला मकर संक्रा