ऐपण क्या है || aipin art 🎨 || aipin art uttarakhand || What is the history of Aipan?

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via https://youtu.be/0RDBGJqnuE8
ऐपण कुमाऊँ की एक गरिमापूर्ण परम्परा है, इस कला का शुभ अवसरों और त्योहारों पर विशेष महत्व है, यह दिखने में रंगोली के समान लग सकती है लेकिन इसे बनाने में निश्चित सामग्री का उपयोग किया जाता है, ऐपण कला की उत्पत्ति उत्तराखँड के अल्मोड़ा से हुई हैं, जिसकी स्थापना चंद राजवंश के शासनकाल के दौरान हुई थी, यह कुमाऊं क्षेत्र में चंद वंश के शासनकाल के दौरान फला-फूला डिजाइन और रूपांकन समुदाय की मान्यताओं और प्रकृति के विभन्न पहलुओं से प्रेरित हैं, चिकित्सकों का मानना है कि यह एक दैवीय शक्ति का आह्वान करता है जो सौभाग्य लाता है, ऐपण कला उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की विशिष्ट पहचान है.

ऐपण को कई तरह के कलात्मक डिजायनों में बनाया जाता है, अंगुलियों और हथेलियों का प्रयोग करके अतीत की घटनाओं, शैलियों, अपने भाव विचारों और सौंदर्य मूल्यों पर विचार कर इन्हें संरक्षित किया जाता है, ऐपण के मुख्य डिजायन चौखाना, चौपड़, चाँद, सूरज, स्वास्तिक, गणेश, फूल-पत्ती तथा बर्तन आदि हैं, ऐपण के कुछ डिजायन अवसरों के अनुसार भी होते हैं.

गाँव घरो में तो आज भी हाथ से ऐपण तैयार कियें जातें है, गेरू (लाल मिट्टी) से फर्श तथा दीवारों को लीपकर ऐपण बनाने के लिए चावल के विश्वार (चावल को भिगा के पीस के बनाया जाता है ) का प्रयोग किया जाता है। समारोहों और त्योहारों के दौरान महिलाएं आमतौर पर ऐपण को फर्श पर, दीवारों पर, प्रवेश द्वारों, रसोई की दीवारों पर, मंदिर के फर्शों पर बनाती हैं.
बता दें ऐपण अब देहरी और दीवारों की शोभा बढ़ाने तक सीमित नहीं रहा है, यह कला पारंपरिक शौक से बाहर एक व्यावसायिक रूप से धारण कर चुकी है, इस व्यवसाय ने कई कला पसंद युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खोले हैं, ऐपण कला के पीछे छिपी भावना सकारात्मक है, इसलिए इससे व्याप्त होने वाली ऊर्जा भी सकारात्मक है। ये लोगो में नवीन उत्साह भरती है और उन्हें शुभ कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है.

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