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दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखंड घूमने नहीं आए ऐसे लोग || UTTARAKHAN TOURISM Guide || UTTARAKHAN TOURISM||#PANKAJ_DEVBHOOMI

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via https://youtu.be/qRclUtsIS4M

Devbhoomi

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via https://youtu.be/p6ayPgqfsj8

How was 2020?

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via https://youtu.be/79Ya94_ldM0

bhatt ke dubke banane ki vidhi || bhatt ke dubke recipe || भट्ट के डबके || how to make Bhatt dubke

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via https://youtu.be/mFS0FLD-3ZY

देवभूमि उत्तराखंड || Oll Information Related To Uttarakhand

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via https://youtu.be/yAVvxMdE2Vo Friends, give us in today's live video. You guys will get some comments and some important information about my channel. You guys will get connected and together I am going to give you many more videos. Regarding the temples of Uttarakhand, the customs and traditions of Uttarakhand remained connected with the culture of civilization. Jai Devbhoomi Jai Uttarakhand with Devbhoomi

भट्ट की चुड़कानी || BHATT KI CHURKANI ||Pahadi Black soybeans || Bhatt Ki Churkani recipe

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via https://youtu.be/f__B689Zqio

उत्तराखंड का इतिहास || quiz competition Live ||pankajdevbhoomi

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via https://youtu.be/dgyNCeuM48c

नर सिंह देवता || Narsingh devta Uttarakhand

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उत्तराखंड 🇮🇳🇮🇳 की सभ्यता ,संस्कृति 🙏 से आपको जोड़ने की कोशिश 🙏🙏 उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से जोड़ी जानकारी कै लिए पेज को फोलो करें , जय देवभूमि जय उत्तराखंड जय हिन्द #उत्तराखंड का इतिहास , #devbhoomiuttarakhand      narsingh devta नर सिंह देवता पौराणिक एंवम लौकिक तत्वों के मिश्रित रूप में नर सिंह की पूजा गढ़वाल क्षेत्र में की जाती है! इसकी पौराणिकता जनपद चमोली के अंतर्गत श्री ज्योतिमठ (जोशीमठ) के प्राप्य है! इस  स्वमभू स्वयंभू मूर्ती का सम्बन्ध पुराण प्रसिद्ध भगवान् विष्णु के नर सिंह अवतार से जोड़ा जाता है! पौराणिक नर सिंह के अतिरिक्त गढ़वाल में नर सिंह का रूप नागपंथी साधुओ की भांति चिंता व जटाधारी साधू का भी उनकी के समान इनके पास झोली, चिंता, टेमरू (तेजबल) का सोटा रहता है! नागा साधुओ की भांति लम्बी इनकी जटाए और शरीर पर अखंड बभूत लगी रहती  है ! गढ़वाल में यह चौरासी सिद्धो की पंकित में अआते है! इनके चार रूप सुनने में आते है! -   दुध्या नर सिंह -  डौडया नर सिंह -  कच्या नर सिंह -  खरंडा नर सिंह नरसिंह मंदिर राजतरंगिणी के अनुसार 8वीं सदी में कश्मीर के राजा ललिता

उत्तराखंड में प्रसिद्ध भट्ट की दाल||bhatt ki dal ke fayde || Pahadi Black soybeans ||

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via https://youtu.be/aRCxBg8p1aU दोस्तों आज की इस वीडियो के माध्यम से हम जान रहे हैं कि उत्तराखंड में किस तरह से भट्ट की दाल उगाई जाती है और इसके क्या क्या फायदे हैं,  100 ग्राम काले भट्ट में 1500 मिलीग्राम पोटैशियम, 21 ग्राम प्रोटीन और 9 मिलीग्राम सोडियम की मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद विटामिन-ए, बी12, डी और कैल्शियम भी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। ये एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्त्रोत है। इसमें फाइटो स्ट्रोजनस, डेडजेन और जेनस्टेन पाया जाता है, जो प्रोस्टेट और स्तन कैंसर की रोकथाम में मददगार है। ये कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फाइबर का अच्छा स्रोत है। काला भट्ट डायबिटीज, इंसुलिन रेसिस्टेंट और हाइपोग्लाईसीमिया से जूझ रहे रोगियों के लिए फायदेमंद है।  काले भट्ट (Pahadi Black soybeans,Pahadi Kala Bhatt) के व्यंजन बनाते वक्त एक बात का खास ख्याल रखें। इसे पकाने से पहले कुछ देर के लिए भिगोकर रखना चाहिए, क्योंकि इसमें गैस बनाने वाले एंजाइम्स भी होते हैं। पहाड़ों में मिलने वाली काली भट्ट एशिया की मूल प्रजाति है, इसका मूल राष्ट्र चीन है। अमेरिका में भी भट्ट का खूब सेवन किया जाता

नन्दा देवी || maa nanda devi history in Hindi ||

उत्तराखंड का इतिहास .. दोस्तों इस भाग में हम आपको उत्तराखंड की प्रसिद्ध मां नंदा देवी के जीवन के बारे में जानकारी देंगे पेज को लाइक फोलो करें 🙏🙏 जय माता नन्दा देवी  नन्दा देवी राजजात भारत के उत्तरांचल राज्य में होने वाली एक नन्दा देवी की एक धार्मिक यात्रा है। यह उत्तराखंड के कुछ सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है। यह लगभग १२ वर्षों के बाद आयोजित होता है। अन्तिम जात सन् 2014 में हुयी थी। अगली राजजात सन् 2024 में होगी,  लोक इतिहास के अनुसार नन्दा गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुँमाऊ के कत्युरी राजवंश की ईष्ट देवी थी। देवीदेवी होने के कारण नन्दादेवी को राजराजेश्वरी कहकर सम्बोधित किया जाता है। नन्दादेवी को पार्वती की बहन के रूप में देखा जाता है लेकिन कहीं-कहीं नन्दादेवी को ही पार्वती का रूप माना गया है। नन्दा के कई नामों में प्रमुख हैं शिवा, सुनन्दा, शुभानन्दा, नन्दिनी। पूरे उत्तरांचल में समान रूप से पूजे जाने के कारण नन्दादेवी के पूरे प्रदेश में धार्मिकता के सूत्र के रूप में गया है। रूपकुण्ड के नरकंकाल, बगुवासा में स्थित आठवीं शताब्दी की सिद्ध विनायक भगवान गणेश की काल